भारत ने 2026 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक ऐतिहासिक और कूटनीतिक रूप से बेहद अहम फैसला लिया है. इस बार मुख्य अतिथि के रूप में यूरोपीय संघ (European Union) के दो शीर्ष नेताओं यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा को आमंत्रित किया जाएगा. यह पहली बार होगा जब किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के दो शीर्ष नेता एक साथ भारत के इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समारोह में शिरकत करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यूरोपीय संघ के नेताओं को गणतंत्र दिवस 2026 के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है. जल्द ही नई दिल्ली और ब्रसेल्स से इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा. गणतंत्र दिवस पर किसी विदेशी नेता को आमंत्रित करना भारत की विदेश नीति का एक अहम और प्रतीकात्मक कदम माना जाता है. इससे भारत की रणनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक प्राथमिकताएं झलकती हैं.
भारत का यह कदम न केवल अपने पुराने साझेदार यूरोप के साथ संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत को भी दर्शाएगा.
हर साल 26 जनवरी को भारत अपना गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाता है, जो 1950 में संविधान लागू होने की याद दिलाता है. यह आयोजन भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और अंतरराष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक माना जाता है.
2025 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि थे, जबकि 2026 में यूरोपीय संघ के दोनों शीर्ष नेताओं की मौजूदगी भारत के इतिहास में एक नई और अनोखी शुरुआत होगी.
पिछले कुछ महीनों में भारत और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के बीच संबंधों में तेज़ी से सुधार देखा गया है. फरवरी 2025 में यूरोपीय आयोग के शीर्ष प्रतिनिधियों की भारत यात्रा के बाद दोनों पक्षों के बीच संवाद और सहयोग मजबूत हुआ. हाल ही में 20 अक्टूबर को यूरोपीय संघ ने एक नई रणनीतिक एजेंडा को मंजूरी दी है, जिसका लक्ष्य भारत-ईयू रिश्तों को एक नए स्तर पर ले जाना है.
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देना तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना सुरक्षा और जनसंपर्क के नए अवसर खोलना
भारत के लिए यह गणतंत्र दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि विश्व मंच पर कूटनीति का प्रदर्शन होगा जो यह दिखाएगा कि भारत अब सिर्फ एक भागीदार नहीं, बल्कि एक वैश्विक नीति-निर्माता के रूप में उभर रहा है.