जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में शुक्रवार को नियंत्रण रेखा (LoC) के पास एक बड़ा हादसा हुआ। सेना का एक जवान बारूदी सुरंग (माइन) विस्फोट में शहीद हो गया और दो अन्य घायल हो गए। यह घटना पुंछ के कृष्णाघाटी सेक्टर में हुई जब सेना की टुकड़ी इलाके में नियमित गश्त पर थी।
शहीद जवान की पहचान 7 जाट रेजिमेंट के अग्निवीर ललित कुमार के रूप में हुई है। सेना की ‘व्हाइट नाइट कोर’ ने उनके बलिदान पर गहरा शोक जताया और कहा कि वे इस मुश्किल घड़ी में उनके परिवार के साथ हैं। सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया, “25 जुलाई को माइन ब्लास्ट के दौरान ललित कुमार ने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके साहस और कर्तव्य भावना को सलाम करते हैं।”
इस बीच, नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान की ओर से फिर से गोलाबारी की गई, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी मोर्चा संभाला। इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत देखा जा रहा है। पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ सैन्य हरकतें करने की कोशिश कर रहा है।
बीते महीने भी राजौरी जिले में एलओसी के पास संदिग्ध गतिविधि देखी गई थी, जिसके बाद भारतीय सेना ने गोलीबारी की थी। राजौरी के किरी सेक्टर में जवानों ने घने जंगलों के बीच 3-4 लोगों को संदिग्ध रूप से घूमते देखा। इसके बाद सेना ने 20 से अधिक गोलियां चलाईं और इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया। ड्रोन की भी मदद ली गई, लेकिन संदिग्ध लोगों का कोई सुराग नहीं मिला।
सुरक्षा एजेंसियों ने पुंछ, सांबा और कठुआ जिलों समेत कई इलाकों में तलाशी अभियान चलाया। पुंछ के सुरनकोट और मेंढर के दर्जनों गांवों जैसे सारी, उस्तान, पठानखोर, लोहार मोहल्ला, चंडीमढ़, फागल और कागवाली में भी सर्च ऑपरेशन किया गया। हालांकि, किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई।
इन सभी घटनाओं के बीच घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और भी सख्त कर दी गई है, क्योंकि 28 जुलाई से ‘बूढ़ा अमरनाथ यात्रा’ शुरू होने वाली है। यह तीर्थयात्रा 13 दिन चलेगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी। इसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी तैयारी कर ली है।
इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस महानिदेशक (DGP) नलिन प्रभात ने पुंछ में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें विशेष डीजीपी जावेद गिलानी, आईजीपी भीमसेन टूटी और सीआरपीएफ के आईजी गोपाल के राव शामिल हुए। अधिकारियों ने पुंछ के पुलिस लाइन का दौरा कर सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया और यह तय किया कि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की चूक नहीं होने दी जाएगी।
सेना और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के बावजूद, एलओसी के पास हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। जवान हर पल सतर्क हैं ताकि आम लोगों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।