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Exit poll Cost: एग्जिट पोल कैसे होता है और इसे कराने में कितना खर्च आता है?

Exit poll Cost: बिहार चुनाव में एग्जिट पोल मतदान खत्म होते ही किया जाता है. वोटरों से सवाल पूछकर अनुमान लगाया जाता है. खर्च सैंपल साइज पर निर्भर करता है, 2.5 से 10 करोड़ तक हो सकता है.

👤 Samachaar Desk 11 Nov 2025 09:05 PM

Exit poll Cost: देश में इस समय बिहार चुनाव की धूम मची हुई है. हर जगह चर्चा है कि इस बार सरकार का रुख क्या रहेगा. चुनावी नतीजों का इंतजार 14 नवंबर को होगा, लेकिन उससे पहले अक्सर एग्जिट पोल का जिक्र होता है. एग्जिट पोल में अनुमान लगाया जाता है कि किस पार्टी को कितने वोट मिल सकते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एग्जिट पोल कैसे किया जाता है और इसमें कितना खर्च आता है?

एग्जिट पोल कैसे होता है

एग्जिट पोल मतदान वाले दिन ही किया जाता है और मतदान खत्म होने के बाद ही इसे टीवी और अखबारों में दिखाया जाता है. इसका कारण यह है कि वोट डालकर बाहर निकलने वाले मतदाताओं से कई सवाल पूछे जाते हैं. इन सवालों से पता लगाया जाता है कि वोटर ने किस पार्टी को समर्थन दिया और किसे अपना वोट दिया.

सर्वे में हजारों या लाखों लोगों के वोट का आंकड़ा लिया जाता है. इन आंकड़ों का विश्लेषण करके मतदान के आखिरी दिन शाम को रिजल्ट के अनुमान के रूप में दर्शाया जाता है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि एग्जिट पोल हमेशा सही साबित हो. कई बार इसका अनुमान असल नतीजों से उल्टा भी निकलता है.

एग्जिट पोल कराने में खर्च

एग्जिट पोल का खर्च सैंपल साइज पर निर्भर करता है. सैंपल साइज का मतलब है कि कितने लोगों से डेटा लिया जाएगा.

उदाहरण के लिए, अगर 70,000 लोगों पर एग्जिट पोल कराया जाता है, तो इसका खर्च लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपये हो सकता है. वहीं अगर यह आंकड़ा लाखों तक बढ़ जाता है, तो खर्च 5 से 10 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.

इस खर्च में सवाल पूछने, डेटा इकट्ठा करने और विश्लेषण करने की सारी लागत शामिल होती है. हालांकि यह सिर्फ अनुमानित खर्च है, वास्तविक खर्च पोल करने वाली एजेंसी और सैंपल साइज पर निर्भर करता है.

एग्जिट पोल लोगों को चुनावी माहौल का अंदाजा देता है और मीडिया में चर्चा का विषय बनता है. यह वोटरों की राय का एक छोटा सा नमूना होता है और वास्तविक नतीजों से कभी-कभी मेल नहीं खाता. इसलिए एग्जिट पोल के आंकड़ों को सिर्फ अनुमान के तौर पर लेना चाहिए.