पांच साल बाद भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो रही हैं. 26 अक्टूबर की रात को कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से इंडिगो की फ्लाइट 6E1703 ग्वांगझोउ के लिए टेकऑफ करेगी. इसके साथ ही 9 नवंबर से दिल्ली-ग्वांगझोउ रूट भी शुरू होगा. यह सिर्फ एक हवाई सफर नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में सुधार का संकेत भी माना जा रहा है. गलवान घाटी की झड़प और बढ़े तनाव के बाद टूटी कनेक्टिविटी अब धीरे-धीरे लौट रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगस्त 2023 में त्येनजिन में हुई मुलाकात के दौरान इस बात पर चर्चा हुई थी कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली पर विचार किया जाए. गलवान घाटी में जून 2020 की झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे और 1962 के युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे. कई राउंड सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने एलएसी (LAC) के विवादित इलाकों से अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटाई.
ताजा घटनाक्रम में अक्टूबर 2023 में डेपसांग और डेमचोक जैसे अंतिम विवादित बिंदुओं पर समझौता हुआ. इसके बाद कजान में मोदी-शी की वार्ता में कई फैसले लिए गए, जिससे संबंधों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़े. इसके अलावा हाल के महीनों में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी एक सकारात्मक संकेत रही. अब सीधी उड़ानों का फिर से शुरू होना इसी सुधार प्रक्रिया की एक बड़ी कड़ी माना जा रहा है.
इससे यात्रियों, व्यापारियों और छात्रों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी. व्यापारियों और बिजनेस डेलीगेशन्स के लिए अब सीधा रूट उपलब्ध होगा, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी. चीन जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स का भी समय और पैसा बचेगा. इसके अलावा मेडिकल टूरिज्म और धार्मिक यात्राओं जैसे कैलाश मानसरोवर यात्रा में भी आसानी होगी. इंपोर्ट-एक्सपोर्ट की गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है.
एविएशन सेक्टर का अनुमान है कि सकारात्मक रिस्पॉन्स मिलने पर आने वाले महीनों में मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई से भी चीन के विभिन्न शहरों के लिए सीधी उड़ानें शुरू की जा सकती हैं. ऐसे में यह कदम न सिर्फ यात्रियों और व्यापार के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि भारत-चीन के रिश्तों में नई शुरुआत का भी प्रतीक माना जा रहा है.