रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली आईपीएल जीत ने पूरे बेंगलुरु शहर को जश्न के रंग में रंग दिया था, लेकिन इस जश्न ने अचानक भयानक रूप ले लिया जब एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भीड़ में भगदड़ मच गई। यह हादसा न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलता है बल्कि बताता है कि कैसे एक जश्न, मौत का मंजर बन सकता है।
क्या हुआ था उस दिन? 5 जून की सुबह से ही शहर में भारी भीड़ उमड़ने लगी थी। आरसीबी की विक्ट्री परेड को लेकर जबरदस्त उत्साह था। स्टेडियम की क्षमता सिर्फ 35,000 लोगों की है, लेकिन अनुमान है कि करीब 3 लाख लोग वहां मौजूद थे। प्रशासन ने 5,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था, जो इस भीड़ के मुकाबले बेहद नाकाफी साबित हुए।
हादसे की असली वजह एक अस्थायी स्लैब बताया जा रहा है। स्टेडियम परिसर के पास एक नाले को ढकने के लिए लोहे-सीमेंट का अस्थायी स्लैब लगाया गया था। कई लोग इस पर खड़े होकर टीम को देखने की कोशिश कर रहे थे। जैसे ही स्लैब भीड़ के भार से टूटा, दर्जनों लोग उसमें गिर पड़े और आसपास खड़े लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। यह भगदड़ का असली ट्रिगर बना।
विक्ट्री परेड को लेकर KSCA और पुलिस ने जो इंतज़ाम किए थे, वे इस पैमाने की भीड़ के लिए बिल्कुल नाकाफी थे। जैसे ही खबर फैली कि टीम स्टेडियम में पहुंच चुकी है, हजारों लोग अचानक गेट की तरफ दौड़ पड़े। कुछ दीवारें फांदी जा रही थीं, कुछ लोग पेड़ों पर चढ़कर अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस को भीड़ काबू करने के लिए लाठीचार्ज तक करना पड़ा।
मेट्रो स्टेशन भी बना खतरा बेंगलुरु मेट्रो स्टेशन पर भी भारी भीड़ थी। वीडियो में देखा गया कि स्टेशन में पैर रखने की जगह नहीं थी। यदि वहां कोई पैनिक फैलता, तो दूसरी बड़ी त्रासदी हो सकती थी।
इस भगदड़ में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 33 लोग घायल हो गए। कई अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। राज्य सरकार की घोर लापरवाही और आयोजकों की तैयारी पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने घटना को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है।