देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति को लेकर हलचल तेज हो गई है. सोमवार को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अब चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है. संसदीय सूत्रों के मुताबिक, यह प्रक्रिया आगामी एक महीने में पूरी कर ली जाएगी। हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीख को लेकर कोई औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है.
धनखड़ ने सोमवार शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपते हुए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया और तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने की बात कही. इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और अब सभी की नजरें नए उपराष्ट्रपति के चयन पर टिक गई हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के चुनाव क्षेत्र (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं. राज्यसभा के नामित सदस्य भी मतदान के लिए पात्र होते हैं. मतदान गुप्त मतदाता प्रणाली (Secret Ballot) और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) के माध्यम से होता है, जिसमें मतदाता को उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी प्राथमिकता (1, 2, 3…) अंकित करनी होती है.
वर्तमान में लोकसभा की कुल 543 सीटों में से एक सीट – पश्चिम बंगाल की बसीरहाट – रिक्त है. वहीं राज्यसभा की 245 सीटों में से पांच खाली हैं. इन पांच में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है. पंजाब की सीट पर संजय अरोड़ा के विधानसभा उपचुनाव में चुने जाने के बाद इस्तीफा दिया गया है.
इस प्रकार, दोनों सदनों की संविधानिक रूप से प्रभावी संख्या 786 है और उपराष्ट्रपति बनने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 394 वोटों की आवश्यकता होगी, यदि सभी सदस्य मतदान करें.
लोकसभा में भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 542 सदस्यों में से 293 सांसदों का समर्थन प्राप्त है. राज्यसभा में एनडीए को 129 सांसदों का समर्थन है, जो प्रभावी संख्या 240 में से है. इस प्रकार एनडीए को कुल 422 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह साफ है कि यदि स्थिति यथावत रहती है, तो एनडीए का उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे रहेगा.
अनुच्छेद 68 (2) के अनुसार, यदि उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, इस्तीफा, हटाए जाने या किसी अन्य कारण से रिक्त होता है, तो "यथाशीघ्र" चुनाव कराया जाना अनिवार्य है। यह शब्दावली किसी निश्चित समयसीमा का उल्लेख नहीं करती, लेकिन इसका तात्पर्य है कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाने चाहिए. चयनित व्यक्ति को पांच वर्षों की पूरी अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा, जो उसके कार्यभार संभालने की तारीख से मानी जाएगी.
जगदीप धनखड़ के पद छोड़ने के बाद उपराष्ट्रपति एन्क्लेव से उनका स्थानांतरण किया जाएगा और उन्हें लुटियंस दिल्ली में सरकारी बंगला आवंटित किया जाएगा. सरकारी सूत्रों के हवाले से ANI ने बताया कि, धनखड़ को मौजूदा प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा मिलती रहेगी. उपराष्ट्रपति का पद जल्द से जल्द भरा जाएगा.