हर दिन खबरों की भीड़ में हम अक्सर वो बातें मिस कर जाते हैं जो हमारे जीवन से सबसे ज्यादा जुड़ी होती हैं जैसे हमारी सेहत, समाज में महिलाओं की स्थिति और वो छोटे बदलाव जो बड़ी तस्वीर को प्रभावित कर रहे हैं. यहां पेश हैं तीन ऐसी जानकारियां, जो महिलाओं के लिए खास मायने रखती हैं.
क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो ऑफिस पहुंचते ही अपनी कुर्सी से उठना भूल जाते हैं? अगर हां, तो अब अलर्ट हो जाइए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिसर्च कहती है कि हमारा मस्तिष्क 90 मिनट से ज्यादा एक ही कार्य पर ध्यान नहीं दे सकता. इसके बाद उसे ब्रेक की ज़रूरत होती है.
WHO से जुड़ी डॉक्टर मारिया पैट्रिक बताती हैं कि महिलाओं के लिए यह समस्या और भी गंभीर है. खासकर विकासशील देशों में इस बात की जागरूकता बेहद कम है. अगर महिलाएं हर एक घंटे बाद 5 मिनट टहलें या हल्का मूवमेंट करें, तो यह उनकी मांसपेशियों, हार्मोन बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा. लगातार बैठने से पीठ दर्द, हार्मोनल बदलाव और यहां तक कि फर्टिलिटी पर भी असर पड़ सकता है.
दक्षिण कोरिया में बीते कुछ वर्षों से बच्चों की जन्म दर में जबरदस्त गिरावट देखी गई है. वहां युवा शादी और बच्चे को लेकर उदासीन हो गए थे. वजहें कई थीं महंगी शिक्षा, जॉब की अनिश्चितता, लाइफस्टाइल पर बढ़ता खर्च, और सबसे अहम, महिलाओं पर बच्चा पैदा करने और पालने की एकतरफा जिम्मेदारी.
इस मानसिकता ने पूरे समाज को प्रभावित किया और जनसंख्या घटने लगी. लेकिन अब बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. IVF क्लीनिक्स की बढ़ती संख्या और सरकार की आर्थिक मदद से वहां हर 6 में से 1 बच्चा IVF के जरिए जन्म ले रहा है. इसके अलावा सरकार यह भी प्रचार कर रही है कि बच्चे की परवरिश सिर्फ मां की नहीं, पिता की भी जिम्मेदारी है. इस सामाजिक संदेश से युवाओं की सोच में सकारात्मक बदलाव आ रहा है.
बरसात जहां सुकून देती है, वहीं यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) जैसी समस्याएं भी साथ लाती है, जो खासकर महिलाओं को अधिक प्रभावित करती हैं. मेयो क्लीनिक की रिसर्च बताती है कि मानसून में यूटीआई के मामलों में 21% तक वृद्धि हो जाती है. उमस और नमी के चलते बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं.
महिलाओं को इस दौरान खास सावधानी बरतनी चाहिए जैसे व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, ढीले सूती कपड़े पहनना, पानी खूब पीना और किसी भी असहजता की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना. अगर इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह संक्रमण मूत्र मार्ग से होते हुए किडनी तक पहुंच सकता है.