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पालतू जानवरों से प्यार है? सावधान! इन्हीं से फैल सकती हैं ये खतरनाक और जानलेवा बीमारियां..!

पालतू जानवर इंसानों के अच्छे साथी होते हैं, लेकिन उनसे रेबीज, टॉक्सोप्लाज्मोसिस, रिंगवर्म, सैल्मोनेला, परजीवी रोग और बर्ड फ्लू जैसी बीमारियां फैल सकती हैं. समय पर वैक्सीनेशन, सफाई, हाथ धोना और पशु चिकित्सक की सलाह लेकर इन खतरों से बचा जा सकता है. शोध बताते हैं कि इंसानों की कई बीमारियां सीधे पालतू जानवरों से जुड़ी होती हैं, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है.

👤 Samachaar Desk 10 Sep 2025 07:21 PM

आज के समय में पालतू जानवर हमारे जीवन का हिस्सा बन गए हैं. कुत्ते, बिल्लियां, खरगोश, पक्षी और यहां तक कि मछलियां व कछुए भी घरों की रौनक बढ़ाते हैं. ये न केवल साथी बनते हैं बल्कि तनाव कम करने और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होते हैं. लेकिन जहां इनसे प्यार और अपनापन मिलता है, वहीं इनसे कुछ खतरनाक बीमारियां भी इंसानों तक पहुंच सकती हैं. इस खतरे को नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए गंभीर साबित हो सकता है.

रेबीज वह बीमारी है जो अक्सर कुत्तों या बिल्लियों के काटने से फैलती है. यह वायरस सीधे दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालता है. इलाज में देरी होने पर यह जानलेवा हो सकती है. यही कारण है कि पालतू जानवरों को नियमित रूप से रेबीज का टीका लगवाना बेहद जरूरी है.

बिल्लियों से सावधान

बिल्लियों के मल में मौजूद परजीवी Toxoplasma gondii इंसानों को संक्रमित कर सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह बीमारी बेहद खतरनाक है, क्योंकि यह सीधे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.

रिंगवर्म: त्वचा का संक्रमण

कुत्ता, बिल्ली या अन्य जानवर रिंगवर्म जैसी फंगल बीमारी फैला सकते हैं. इसमें त्वचा पर लाल गोल चकत्ते बन जाते हैं, जिनसे खुजली और जलन होती है. ये तेजी से फैलने वाला संक्रमण है.

सैल्मोनेला: खाने-पीने पर असर

कछुए, पक्षी और यहां तक कि बिल्लियां भी सैल्मोनेला बैक्टीरिया फैला सकती हैं. इससे दस्त, उल्टी, बुखार और पेट दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं. बच्चों और बुजुर्गों में इसका प्रभाव ज्यादा गंभीर हो सकता है.

परजीवी रोग और एस्केरियासिस

कुत्ते और बिल्लियां आंतों के कीड़े और परजीवी इंसानों तक पहुंचा सकते हैं. इनके अंडे वातावरण में फैलकर संक्रमण का कारण बनते हैं. इससे पेट संबंधी बीमारियां और कमजोरी हो सकती है.

बर्ड फ्लू: पक्षियों से जुड़ा खतरा

तोते, कबूतर या अन्य पक्षियों से एवियन इन्फ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू फैल सकता है. यह हर समय नहीं होता, लेकिन एक बार संक्रमण होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है.

बचाव के आसान उपाय

पालतू जानवरों का वैक्सीनेशन और डीवॉर्मिंग कराएं. उनकी सफाई और स्वास्थ्य का ध्यान रखें. बच्चों और बुजुर्गों को मल-मूत्र से दूर रखें. जानवरों को छूने के बाद हाथ जरूर धोएं. बीमार लगने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

रिसर्च और विशेषज्ञों की चेतावनी

कांचीपुरम (तमिलनाडु) में हुई स्टडी के अनुसार, 92% कुत्ता मालिक डीवॉर्मिंग और टीकाकरण से होने वाले फायदे जानते थे, लेकिन फ्ली और टिक्स से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी बेहद कम थी. वहीं, दिल्ली के डॉ. विकास मित्तल ने हाइडैटिड डिजीज जैसे परजीवी रोगों को गंभीर खतरा बताया. CARE अस्पताल, भुवनेश्वर की डॉ. ममता पांडा के मुताबिक अब तक पहचाने गए 1,407 मानव रोगों में से 816 जूनोटिक हैं, यानी इंसानों में फैलने वाली बीमारियों का बड़ा हिस्सा पालतू जानवरों से जुड़ा हुआ है.