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30 कमरों की हवेली में पला-बढ़ा ये एक्टर, लेकिन फिर भी खुद को मानता है मिडिल क्लास

चमक-धमक की दुनिया में एक ऐसा एक्टर, जिसका अतीत हैरान कर देगा. रॉयल हवेली में बीता बचपन, दर्जनों गायें, 30 कमरों का घर- लेकिन सोच एकदम मिडिल क्लास! हाल ही में द ट्रेटर्स में नजर आए सुधांशु पांडे ने एक इंटरव्यू में अपने असली बैकग्राउंड का खुलासा किया. जानिए कैसे एक सादा, मजबूत नींव वाले इंसान ने ग्लैमर की ऊंचाइयों को छुआ, बिना अपनी जड़ों से कटे.

👤 Samachaar Desk 16 Jul 2025 09:28 AM

टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बना चुके अभिनेता सुधांशु पांडे आज एक जाना-माना नाम हैं. मॉडलिंग से करियर की शुरुआत करने वाले सुधांशु ने सिंगिंग और एक्टिंग दोनों में अपना लोहा मनवाया है. हाल ही में वa अमेजन प्राइम के रियलिटी शो "द ट्रेटर्स" में नजर आए, जहां उन्होंने अपनी मौजूदगी से लोगों का ध्यान खींचा. हालांकि इस सफलता और ग्लैमर की दुनिया के पीछे सुधांशु की जिंदगी की असली कहानी कहीं अधिक सादगीभरी और प्रेरणादायक है. एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलकर अपने मिडिल क्लास बैकग्राउंड और जमीन से जुड़े होने की वजहों पर बात की.

"हमारी सबसे बड़ी ताकत है हमारा साधारणपन"

वरिंदर चावला के यूट्यूब चैनल पर एक बातचीत के दौरान जब सुधांशु पांडे से पूछा गया कि वह इतने जमीन से जुड़े कैसे रहते हैं, तो उनका जवाब सीधा और सच्चा था. उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि हमारे जैसे लोगों की सबसे बड़ी ताकत हमारा बैकग्राउंड होता है. मेरा बैकग्राउंड बहुत साधारण और मिडिल क्लास रहा है. यही मेरी असली ताकत है क्योंकि मुझे अपनी सच्चाई पता है- मैं कहां से आता हूं और मेरी जगह क्या है."

उनके इस जवाब से साफ है कि सुधांशु की सफलता की जड़ें उनकी विनम्रता और आत्म-जागरूकता में छिपी हैं.

30 कमरों की हवेली, फिर भी मिडिल क्लास मानसिकता

अपनी पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में बताते हुए सुधांशु ने कहा- "मेरा पैतृक घर गोरखपुर में है. हम उत्तराखंड से हैं, लेकिन घर गोरखपुर में था और वो 30 कमरों की एक हवेली थी. हमारे पास बहुत सी गायें भी थीं."

यह सुनने में किसी रॉयल जीवन की झलक देता है, लेकिन उन्होंने साफ किया कि इसके बावजूद उनका पालन-पोषण एक मिडिल क्लास परिवार की सोच और सादगी के बीच हुआ.

सादगी बनी जीवन की नींव

सुधांशु मानते हैं कि उनके माता-पिता ने जिस सादगी से उन्हें बड़ा किया, वही उनकी जिंदगी की सबसे मजबूत नींव बनी. वह कहते हैं: "वो नींव इतनी मजबूत थी कि मैं जीवन में किसी भी मोड़ पर डगमगाया नहीं." उनके इस विचार से ये साफ हो जाता है कि चाहे सफलता कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर जड़ें मजबूत हों, तो इंसान हमेशा जमीन से जुड़ा रहता है.

सुधांशु पांडे की कहानी उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखते हैं लेकिन अपनी सादगी और मूल्यों को खोना नहीं चाहते. उनकी सफलता, सच्चाई और सादगी का ये मेल बताता है कि असली चमक बाहर की नहीं, भीतर की होती है.