Salman Khan Bond With Shera: सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा पिछले तीन दशकों से उनके साथ एक साए की तरह खड़े हैं. लेकिन इस समय शेरा अपनी जिंदगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं. उनके पिता, श्री सुंदर सिंह जॉली, का 88 साल की उम्र में कैंसर से निधन हो गया. यह खबर न सिर्फ उनके लिए बल्कि सलमान के लिए भी भावनात्मक झटका थी, क्योंकि दोनों के रिश्ते में सिर्फ पेशेवर जुड़ाव नहीं, बल्कि गहरी दोस्ती और भाईचारा शामिल है.
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो ने फैंस के दिल को छू लिया. वीडियो में सलमान खान अपनी कार से उतरते हैं और सामने खड़े, भावनाओं में डूबे शेरा को गले लगा लेते हैं. बिना एक शब्द कहे, सिर्फ एक आलिंगन से सलमान ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि वे उनके इस कठिन समय में पूरी तरह साथ हैं. शेरा के चेहरे पर पिता को खोने का दर्द साफ दिख रहा था और सलमान की आंखों में भी दोस्त के दुख को महसूस करने की झलक थी.
शेरा, जिनका असली नाम गुरमीत सिंह जॉली है, 30 से ज्यादा सालों से सलमान खान की सिक्योरिटी का जिम्मा संभाल रहे हैं. वे न सिर्फ उनके पर्सनल बॉडीगार्ड हैं, बल्कि उनकी सिक्योरिटी टीम के हेड भी हैं. सलमान कई बार इंटरव्यू में कह चुके हैं कि शेरा उनके लिए परिवार जैसे हैं और उन पर पूरा भरोसा है. उन्होंने यहां तक कहा है कि शेरा उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा सकते हैं.
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खान परिवार से गहरा लगाव
शेरा का वक्त ज्यादातर सलमान और उनके परिवार के साथ ही गुजरता है. भाईजान के हर इवेंट, शूट और ट्रिप में वे साथ होते हैं. बदले में सलमान भी शेरा के हर निजी और पेशेवर काम में उनका समर्थन करते हैं. यही वजह है कि शेरा के लिए सलमान सिर्फ एक बॉस नहीं, बल्कि बड़े भाई और मार्गदर्शक हैं.
फिटनेस और पॉपुलैरिटी में भी स्टार
सिर्फ सलमान के बॉडीगार्ड होने की वजह से ही नहीं, बल्कि अपनी फिटनेस और पर्सनैलिटी की वजह से भी शेरा के लाखों फॉलोअर्स हैं. उनके इंस्टाग्राम पर 1.2 मिलियन फैंस जुड़े हुए हैं. फिटनेस की दुनिया में उनकी उपलब्धियां भी खास हैं — 1987 में उन्होंने ‘मुंबई जूनियर’ का खिताब जीता और 1998 में ‘मिस्टर महाराष्ट्र जूनियर’ में रनर-अप रहे. साथ ही, वे अपनी पर्सनल सिक्योरिटी कंपनी भी चलाते हैं.
शेरा के इस मुश्किल वक्त में सलमान खान का इस तरह साथ खड़ा होना यह साबित करता है कि सच्चे रिश्ते काम और पैसे से ऊपर होते हैं. यह रिश्ता न सिर्फ प्रोफेशनल ड्यूटी का, बल्कि वफादारी, भरोसे और इंसानियत का है- एक ऐसा बंधन जो वक्त के हर इम्तिहान में खरा उतरता है.
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