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रणबीर-करीना से भी जुड़ा है रिश्ता! बॉलीवुड के इस खलनायक की असली जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं थी!

एक समय का हीरो, जो सड़क पर आ गया... फिर एक खलनायक बना और 500 से ज्यादा फिल्मों में छा गया. इस एक्टर की कहानी जानकर आप चौंक जाएंगे!

👤 Samachaar Desk 02 Aug 2025 09:50 AM

कमल कपूर का नाम सुनते ही 'डॉन' का नारंग या 'दीवार' का आनंद वर्मा याद आ जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कमल कपूर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर हीरो की थी? 1946 में आई फिल्म ‘दूर चलें’ से उन्होंने हिंदी सिनेमा में कदम रखा. हालांकि, सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते-चढ़ते उनका करियर डगमगाने लगा और उन्हें काम मिलना लगभग बंद हो गया.

जब किस्मत ने बदला रुख

एक वक्त ऐसा आया जब कमल ने फिल्में बनानी भी शुरू कीं. 1951 में उन्होंने ‘कश्मीर’ नाम की फिल्म बनाई, लेकिन वह फ्लॉप हो गई. यहां से उनका करियर जैसे थम सा गया. आर्थिक संकट इतना गहरा गया कि उन्हें अपनी कार तक बेचनी पड़ी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

विलेन बनकर मचाया धमाल

कमल कपूर ने अपने अभिनय कौशल को नए रूप में ढालते हुए खलनायक की भूमिका चुन ली. 1965 में आई ‘जौहर महमूद इन गोवा’ से उनके विलेन करियर की शुरुआत हुई और यही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया. उनकी भूरी आंखें, गहरी आवाज और तीखा अभिनय दर्शकों के दिलों में बस गया.

थिएटर से सिनेमा तक का सफर

कमल कपूर को पहला मंचीय ब्रेक उनके मौसेरे भाई पृथ्वीराज कपूर ने दिया था. पृथ्वी थिएटर के नाटक ‘दीवार’ में अंग्रेज अधिकारी का किरदार निभाकर उन्होंने रंगमंच पर धाक जमाई. यही अभिनय की नींव बनी, जिसने उन्हें आने वाले वर्षों में 500 से अधिक फिल्मों में काम दिलाया—हिंदी, पंजाबी और गुजराती सिनेमा में.

कपूर खानदान से गहरा नाता

कमल कपूर का जुड़ाव बॉलीवुड के नामी कपूर परिवार से भी था. पृथ्वीराज कपूर उनके मौसेरे भाई थे और रणबीर, करिश्मा, करीना कपूर उनके परपोते-परपोतियां लगते हैं. उनकी बेटी की शादी निर्माता रमेश बहल से हुई और उनके पोते गोल्डी बहल की पत्नी हैं अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे.

अभिनय जो दिल में उतर जाए

कमल कपूर सिर्फ खलनायक नहीं थे, वह एक कलाकार थे जो हर भाव में ढल जाते थे. चाहे क्रूरता हो या संवेदनशीलता, उन्होंने हर किरदार को अपने अभिनय से जीवंत बना दिया. उनकी सादगी और समर्पण आज भी फिल्म जगत में एक मिसाल है.