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जावेद अख्तर का बड़ा खुलासा– शराब की लत, धर्म से नाराजगी और 52 की उम्र से पहले मौत का डर

बेबाक बयानों के लिए मशहूर जावेद अख्तर ने धर्म की तुलना शराब से कर दी. उन्होंने कहा– दोनों सीमित मात्रा में ठीक हैं, लेकिन जब अति होती है, तो ये जहर बन जाते हैं. इंटरव्यू में उन्होंने अपनी शराब की लत, धर्म पर शक और विश्वास की परिभाषा को लेकर चौंकाने वाले बयान दिए, जिससे सोचने पर मजबूर होना तय है.

👤 Samachaar Desk 13 Jun 2025 03:18 PM

Javed Akhtar : अपने बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाने वाले लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में धर्म को लेकर ऐसा उदाहरण दिया, जिसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. जावेद ने धर्म की तुलना शराब से करते हुए कहा कि जब तक दोनों सीमित मात्रा में हों, तब तक ठीक हैं, लेकिन अति दोनों को जहरीला बना देती है.

आज तक रेडियो के साथ बातचीत में जावेद अख्तर ने धर्म की तुलना सीधे शराब से कर दी. उन्होंने कहा कि जैसे दिन में दो पैग व्हिस्की सेहत के लिए फायदेमंद माने जा सकते हैं, वैसे ही धर्म भी अगर संयम में रहे, तो समाज के लिए अच्छा हो सकता है. लेकिन जब लोग सीमा पार कर देते हैं, तब ये जहरीला बन जाता है.

मैंने भी शराब को खूब समय दिया, अब पछताता हूं

जावेद अख्तर ने ये भी स्वीकार किया कि उन्होंने अपने जीवन के कई कीमती साल शराब में बर्बाद किए. अब जब वो शराब से पूरी तरह दूर हैं, तो उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने पहले ये फैसला लिया होता, तो जीवन कुछ और होता. उनके मुताबिक, शराब की आदत छूटने के बाद ही उन्होंने असली संतुलन महसूस किया.

“शराब और धर्म में है गहरा मेल”

अख्तर ने अमेरिकियों द्वारा किए गए एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग न तो शराब पीते हैं और न ही जरूरत से ज्यादा, वही सबसे लंबा जीवन जीते हैं. “शराब और धर्म दोनों में ही अति सबसे बड़ा खतरा है,” उन्होंने कहा. “कुछ दवाओं में भी शराब होती है, तो क्या वो बुरी है? नहीं, बुरी चीज है उसका ओवरडोज.”

“दूध दो गिलास चलेगा, लेकिन व्हिस्की नहीं?”

जावेद ने एक दिलचस्प उदाहरण दिया: “अगर कोई दो गिलास दूध पी जाए, तो लोग कुछ नहीं कहते. लेकिन दो पेग व्हिस्की या ज्यादा धर्मिक प्रवचन के लिए बैठ जाए, तो वही समाज में तनाव की वजह बनता है.” उनके मुताबिक, धर्म और शराब दोनों ही सीमित मात्रा में आनंददायक हो सकते हैं, लेकिन इनकी अति खतरनाक हो जाती है.

“मुझे हैरानी होती है कि विश्वास और मूर्खता में फर्क क्या है?”

उन्होंने ये भी कहा कि वो किसी भी धर्म को नहीं मानते, क्योंकि उसमें तर्क और वैज्ञानिक सोच की कमी होती है. सद्गुरु के साथ अपनी पुरानी बहस का जिक्र करते हुए जावेद बोले, “जो चीज तर्क, गवाह और प्रमाण से खाली हो, उसे मैं कैसे मानूं? यही तो मूर्खता की परिभाषा भी है.”

“बीयर से रम तक, हर शराब का चखा स्वाद”

जावेद अख्तर ने मिड-डे के साथ बातचीत में बताया कि शराब के हर प्रकार को उन्होंने अपनाया. “पहले व्हिस्की पसंद थी, फिर एलर्जी हो गई, तो बीयर पीने लगा. एक बार में 18 बोतल बीयर पी जाता था. फिर लगा कि पेट फूल रहा है, तो रम पीने लगा.” आखिरकार उन्होंने शराब को पूरी तरह छोड़ने का फैसला लिया.

अरबाज खान के शो में उन्होंने स्पष्ट कहा, “मैं शराब इसलिए नहीं पीता था कि मुझे कोई गम था. मैं पीता था क्योंकि मुझे उसमें आनंद आता था. लेकिन जब महसूस हुआ कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो 52-53 की उम्र से ज्यादा नहीं जी पाऊंगा, तभी खुद को रोका.”