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गंगा में डुबकी से बदल सकती है किस्मत! आज ऐसे करें स्नान और पूजन, हर दुख होगा दूर

Ganga Dussehra 2025 : गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है, जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं. इस दिन गंगा स्नान, दान, जप और उपवास का विशेष महत्व होता है. पूजन में 10 प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग कर गंगा स्तोत्र, मंत्र और आरती का पाठ करना पुण्यदायक माना जाता है.

👤 Samachaar Desk 05 Jun 2025 08:11 AM

Ganga Dussehra 2025 : गंगा दशहरा हिन्दू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं. माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त

इस साल गंगा दशहरा 5 जून 2025 को मनाया जाएगा. दशमी तिथि 4 जून की रात 11:54 बजे से शुरू होकर 5 जून की रात 2:16 बजे तक रहेगी. इस दौरान सुबह 3:35 बजे से 5:24 बजे तक और पुनः सुबह 9:13 बजे तक सिद्धि योग रहेगा, जो स्नान और पूजा के लिए विशेष शुभ माना गया है. इसी समय गंगा स्नान से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है.

गंगा पूजन की विधि

गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं को पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से मां गंगा की पूजा करनी चाहिए. पूजा सामग्री में 10 प्रकार के फूल, 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 ऋतुफल, 10 ताम्बूल, दशांग धूप और 10 दीपकों का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही, गंगा अवतरण की कथा का श्रवण और श्रीगंगा स्तोत्र व स्तुति का पाठ करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है.

जप और मंत्रों का महत्व

गंगा दशहरा के दिन इस मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है: "ॐ नमः शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः." इस मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति के साथ जीवन में शांति और समृद्धि आती है.

मां गंगा की आरती

ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता. जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता. चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता. शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता. पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता. कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता. एक ही बार जो तेरी शरण में आता, यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता. आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता, दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता.

गंगा दशहरा न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान का अवसर भी है. इस दिन स्नान, दान, जप और उपवास के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है.