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Devuthani Ekadashi : कब है देवउठनी एकादशी, इस दिन क्या करें और क्या न करें?

Devuthani Ekadashi : देवउठनी एकादशी इस साल कब मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. पूजा-व्रत से सुख-समृद्धि मिलती है. चावल, मूली, बैंगन खाना वर्जित माना गया है.

👤 Samachaar Desk 28 Oct 2025 08:30 PM

Devuthani Ekadashi : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा से जागते हैं. माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जागकर सृष्टि का संचालन दोबारा शुरू करते हैं.

इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है जैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश आदि. वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी 1 नवंबर (शनिवार) को मनाई जाएगी. इसे देवोत्थान एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है.

पूजा का महत्व और लाभ

धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से पापों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान को शुद्ध मन से जागृत करते हैं. ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का आगमन होता है.

पूजा विधि

सुबह स्नान कर घर की पूरी सफाई करें. पूजा स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. दीपक जलाएं और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप करें. भगवान विष्णु को शुद्ध घी, तुलसी पत्ती, और मिठाई का भोग लगाएं. फिर उन्हें सम्मानपूर्वक रथ पर भ्रमण कराएं या आसन उठाकर प्रतीकात्मक रूप से सैर कराएं.

देवउठनी एकादशी पर क्या न करें

इस दिन चावल, मूली और बैंगन का सेवन न करें. तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस आदि) से परहेज करें. घर में गंदगी न रखें, विशेषकर मुख्य द्वार को साफ रखें. शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना न भूलें.

व्रत पारण का नियम

अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है. पारण के समय आंवला और तुलसी खाकर प्रसाद ग्रहण करें. ऐसा करने से व्रत पूरा माना जाता है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.

देवउठनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिन हमें शुद्धता, अनुशासन और श्रद्धा का संदेश भी देता है. इस दिन नियमपूर्वक पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.