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यूपी बोर्ड की परीक्षा में 100 साल बाद ऐतिहासिक बदलाव… कॉपियों का लेआउट बदला, नकल रोकने का बड़ा कदम

UP Board 2026: यूपी बोर्ड ने 100 साल बाद हाईस्कूल और इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का लेआउट बदला! लंबाई वाली कॉपियां, कलर कोडिंग और मोनोग्राम से नकल माफिया की प्लानिंग नाकाम, जानें पूरी जानकारी.

👤 Samachaar Desk 06 Dec 2025 03:14 PM

यूपी बोर्ड ने 100 साल के लंबे इतिहास में पहली बार हाईस्कूल और इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का लेआउट पूरी तरह बदलने का ऐतिहासिक फैसला किया है. यह बदलाव सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि छात्रों को लिखने में बेहतर सुविधा देने, नकल रोकने और कॉपियों की अदला-बदली को असंभव बनाने के उद्देश्य से किया गया है.

2026 की यूपी बोर्ड परीक्षा 18 फरवरी से 12 मार्च के बीच आयोजित की जाएगी. इस बार परीक्षा में कुल 52 लाख 30 हजार 297 छात्र शामिल होंगे. इनमें 10वीं के लगभग 27.5 लाख और 12वीं के करीब 25 लाख छात्र शामिल हैं. इतनी बड़ी संख्या के लिए करीब 2 करोड़ 60 लाख नई कॉपियां छापी जा रही हैं, जिन्हें जनवरी तक सभी जिलों में वितरित कर दिया जाएगा.

लंबाई वाली कॉपियों से लिखाई होगी साफ

अब तक यूपी बोर्ड की कॉपियां चौड़ाई में होती थीं. इस बार बोर्ड ने उन्हें लंबाई वाली कॉपियों में बदल दिया है. इससे छात्रों को लिखते समय अधिक जगह मिलेगी और पेज के अनुसार उनकी राइटिंग साफ और व्यवस्थित दिखाई देगी. बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के अनुसार, नए लेआउट से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कॉपी की अदला-बदली करना लगभग असंभव हो जाएगा. नकल माफिया के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा, क्योंकि अब किसी भी तरह की गड़बड़ी पकड़ना आसान होगा.

खास कलर कोडिंग से बढ़ेगा सुरक्षा तंत्र

नई कॉपियों में कलर कोडिंग का भी इस्तेमाल किया गया है:

  • 12वीं ए कॉपी – 24 पेज, मजेंटा कलर
  • 12वीं बी कॉपी – 12 पेज, हरा रंग
  • 10वीं ए कॉपी – 18 पन्ने, ब्राउन कलर
  • 10वीं बी कॉपी – 12 पन्ने, ग्रीन कलर

हर पन्ने पर माध्यमिक शिक्षा परिषद का मोनोग्राम होगा, जिससे डुप्लीकेसी यानी नकली कॉपी बनाने की संभावना खत्म हो जाएगी. इन कॉपियों की छपाई प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी और रामपुर के सरकारी प्रेसों में कराई जा रही है, ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता पर पूरी नजर रखी जा सके.

नकल रोकने का अब तक का सबसे बड़ा कदम

यूपी बोर्ड लंबे समय से परीक्षा को नकल मुक्त बनाने के मिशन पर काम कर रहा है. हाईटेक सेंटर, CCTV निगरानी और स्कैन की गई कॉपियों की जांच जैसी कई पहल पहले ही की जा चुकी हैं. लेकिन 2026 में कॉपियों का लेआउट बदलना अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावी कदम माना जा रहा है. बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि इससे परीक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों का विश्वास मजबूत होगा.

100 साल बाद आया ऐतिहासिक बदलाव

यूपी बोर्ड की स्थापना 1921 में हुई थी और पहली परीक्षा 1923 में आयोजित की गई थी. तब से लेकर अब तक कॉपियों के लेआउट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. 2026 के इस कदम को बोर्ड ने ऐतिहासिक माना है. अभी तक 7448 परीक्षा केंद्रों की प्रोविजनल सूची जारी की गई है. अंतिम सूची 30 दिसंबर 2025 को जारी होगी. वहीं, प्रैक्टिकल परीक्षाएं जनवरी में संपन्न होंगी.

इस बदलाव से न सिर्फ नकल माफिया की योजना फेल होगी, बल्कि छात्रों को लिखाई में बेहतर सुविधा और परीक्षा में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी. यूपी बोर्ड की यह पहल आने वाले सालों में परीक्षा प्रणाली में एक नई मिसाल कायम करेगी.