उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में डॉक्टर उस वक्त हैरान रह गए जब एक 30 वर्षीय महिला की MRI रिपोर्ट में जो सामने आया, वह चिकित्सा जगत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था. महिला गर्भवती तो थी, लेकिन भ्रूण गर्भाशय में नहीं, बल्कि उसके लीवर में विकसित हो रहा था.
यह मामला 'इन्ट्राहैपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी' (Intrahepatic Ectopic Pregnancy) का है, जो दुनिया के सबसे दुर्लभ मामलों में गिना जाता है. अब तक विश्वभर में ऐसे केवल आठ ही केस सामने आए हैं, और माना जा रहा है कि भारत में यह पहला ऐसा केस है.
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में भ्रूण गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है. लेकिन इस केस में भ्रूण सीधे लीवर में जाकर प्रत्यारोपित हो गया। जब यह स्थिति लीवर में हो, तो उसे "इन्ट्राहैपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी" कहा जाता है.
महिला को कई हफ्तों से पेट में लगातार दर्द और उल्टियों की शिकायत थी. शुरुआती जांचों से कुछ स्पष्ट नहीं हुआ, इसलिए डॉक्टरों ने MRI स्कैन की सलाह दी. यह स्कैन मेरठ के एक प्राइवेट इमेजिंग सेंटर में डॉ. केके गुप्ता की निगरानी में हुआ.
डॉ. गुप्ता ने बताया, कि 'जब मैंने स्कैन देखा, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. भ्रूण लीवर के दाहिने लोब में था और उसमें स्पष्ट हृदय स्पंदन दिख रहा था. मेरे करियर में ऐसा केस मैंने पहली बार देखा है.
लीवर मानव शरीर का सबसे अधिक रक्त प्रवाह वाला अंग होता है। ऐसे में यदि भ्रूण वहीं विकसित हो, तो रक्तस्राव और अंग फटने जैसी जानलेवा स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं. यदि समय रहते इसका इलाज न हो, तो यह मां की जान के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योत्सना मेहता के अनुसार, ऐसे मामलों में भ्रूण को ऑपरेशन से निकालने की कोशिश की जाती है लेकिन प्लेसेंटा को वहीं छोड़कर धीरे-धीरे दवा से समाप्त किया जाता है, ताकि अत्यधिक रक्तस्राव न हो.
फिलहाल महिला को एक मल्टीडिसिप्लिनरी टीम की निगरानी में रखा गया है जिसमें गायनेकोलॉजिस्ट, हेपेटोबिलियरी सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट शामिल हैं. एक जटिल और संवेदनशील सर्जरी की योजना बनाई जा रही है. इस अनोखे और खतरनाक केस ने भारत के चिकित्सा इतिहास में एक नई मिसाल कायम कर दी है.