शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, जो इस समय नाभा जेल में बंद हैं, उन्होंने अपनी जेल बैरक बदलने के लिए अदालत में याचिका दायर की है। बिक्रम सिंह मजीठिया पर आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है और अदालत के आदेश से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
अदालत में याचिका क्यों दायर की गई?'
बिक्रम मजीठिया ने मोहाली कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा है कि नाभा जेल में उनकी जान को खतरा है। इसलिए, उन्हें किसी दूसरी, सुरक्षित बैरक में स्थानांतरित किया जाए।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जेल प्रशासन को निर्देश दिया जाए कि वे उन्हें अलग बैरक में रखें।
क्या हुआ अब तक?
इस मामले में 12 जुलाई को मोहाली की अदालत ने विजिलेंस विभाग को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह इस याचिका पर अपना पक्ष रखे।
हालांकि, 15 जुलाई को हुई सुनवाई में विजिलेंस विभाग ने अदालत से थोड़ा और समय मांगा ताकि वे अपना पक्ष सही तरीके से पेश कर सकें।
अदालत ने यह समय दिया और अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। उसी दिन फैसला होगा कि मजीठिया को जेल में अलग बैरक मिलेगी या नहीं।
मजीठिया पर क्या आरोप हैं?
बिक्रम सिंह मजीठिया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी आमदनी से ज्यादा संपत्ति अर्जित की, जो गैरकानूनी मानी जाती है। इस मामले में विजिलेंस विभाग ने जांच की और उसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में 14 दिन के लिए जेल में बंद हैं।
आगे क्या?
अब सभी की नजर 17 जुलाई की सुनवाई पर टिकी है। उस दिन यह तय होगा कि मजीठिया को जेल के भीतर बैरक बदलने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों ही रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि मजीठिया अकाली दल के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं।
उनकी याचिका पर आने वाला फैसला, जेल सुरक्षा और राजनीतिक मामलों में जेल व्यवस्था को लेकर भी एक मिसाल बन सकता है।