पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसलों पर मुहर लगी। इस बैठक में सबसे अहम फैसला पंजाब सहकारी समिति अधिनियम 1961 में संशोधन को मंजूरी देने का रहा। पहले इस कानून के तहत कुछ सहकारी समितियों को पंजीकरण और स्टांप शुल्क से छूट दी गई थी, ताकि उनका विकास हो सके। लेकिन इसका गलत इस्तेमाल होने लगा। खासकर शहरी आवासीय समितियों में बिना पंजीकरण के संपत्ति का लेन-देन होने लगा, जिससे बेनामी सौदे और गैर-कानूनी कब्जों को बढ़ावा मिला।
अब नए संशोधन के बाद राज्य सरकार गजट नोटिफिकेशन जारी करके यह तय करेगी कि किन श्रेणियों की सहकारी समितियों को यह छूट मिलेगी। इसके अलावा, अधिसूचित प्रावधानों को भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकरण के दायरे में लाया जाएगा।
बैठक में ‘पंचायत विकास सचिव’ नाम के नए पद के सृजन को भी मंजूरी मिली। इसके लिए पंचायत सचिव और ग्राम सेवक (ग्राम विकास अधिकारी) के कैडर को मिलाया जाएगा, जिससे ग्रामीण विकास के काम में तेजी आए। मौजूदा पंचायत सचिवों को ‘डाइंग कैडर’ में रखा जाएगा और उनकी वरिष्ठता ग्राम सेवकों के बाद मानी जाएगी। इस बदलाव से पूरे पंजाब में ग्रामीण विकास के लिए एक राज्य स्तरीय कैडर तैयार होगा।
कैबिनेट ने खरीफ और रबी फसलों की खरीद के लिए पहले से बने मंत्रिसमूह को भी मंजूरी दे दी। इस समूह की अध्यक्षता कृषि मंत्री करेंगे, जबकि खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री, परिवहन मंत्री और जल संसाधन मंत्री इसमें सदस्य होंगे।
इसके अलावा, छठे पंजाब वेतन आयोग की रिपोर्ट के कुछ हिस्सों पर विचार करने के लिए बनी कैबिनेट उप-समिति को भी औपचारिक मंजूरी दे दी गई।
बैठक में एक और बड़ा फैसला लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 को वापस लेने का रहा। 4 जून 2025 को जारी इस पॉलिसी और उसके संशोधनों को अब रद्द कर दिया गया है।
सीधे शब्दों में कहें तो इस कैबिनेट बैठक में कानून सुधार से लेकर ग्रामीण विकास, कृषि खरीद व्यवस्था और भूमि नीति तक कई अहम मुद्दों पर निर्णायक फैसले लिए गए।