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मोहाली फर्जी मुठभेड़ मामला: पूर्व एसएचओ परमजीत सिंह को 10 साल की सजा, परिजन हाईकोर्ट जाएंगे

मोहाली फर्जी मुठभेड़ मामला: 1993 में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में अदालत ने तत्कालीन एसएचओ परमजीत सिंह को दोषी ठहराते हुए 10 साल की जेल और ₹50,000 जुर्माने की सजा सुनाई।

👤 Saurabh 23 Jul 2025 06:32 PM

Punjab News: मोहाली में 1993 के एक बहुचर्चित फर्जी मुठभेड़ मामले में अदालत ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन चौकी प्रभारी (एसएचओ) परमजीत सिंह को दोषी मानते हुए 10 साल की सश्रम कैद और ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। यह मामला दो पुलिसकर्मियों सुरमुख सिंह और सुखविंदर सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हत्या से जुड़ा है, जिसे पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था।

मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ितों के परिजनों और वकीलों ने बताया कि दोनों पुलिसकर्मियों को 1993 में उनके घरों से जबरन उठाया गया था। इसके बाद वे कई दिनों तक लापता रहे। अंततः पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ का नाटक कर दोनों की हत्या कर दी और इसे "एनकाउंटर" बताकर बंद करने की कोशिश की गई।

इस घटना के बाद परिवार वालों ने न्याय के लिए लड़ाई शुरू की। मामला पहले स्थानीय अदालतों में चला, लेकिन बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने अपनी जांच में मुठभेड़ को फर्जी पाया और दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक अन्य आरोपी पुलिस अधिकारी की मौत हो गई, जबकि इस केस में शामिल तीन अन्य कांस्टेबलों को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

हालाँकि, पीड़ितों के परिवार इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि तीनों कांस्टेबल भी इस फर्जी मुठभेड़ में बराबर के आरोपी थे, लेकिन उन्हें बरी करना न्याय के साथ अन्याय है। परिजनों ने बताया कि वे इस फैसले के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

इस मामले ने पंजाब पुलिस में फर्जी मुठभेड़ों के पुराने दौर की यादें ताजा कर दी हैं, जब 90 के दशक में आतंकवाद के नाम पर कई लोगों की कथित फर्जी मुठभेड़ों में हत्या हुई थी। आज अदालत के फैसले को उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है जो वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठे हैं।