पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने युवाओं को बड़ा तोहफा देते हुए 271 युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब पंजाब में नौकरी पाना किसी सपने जैसा नहीं है, बल्कि मेहनत और मेरिट के आधार पर हर युवा नौकरी पा सकता है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा – “नंबर लाओ, नौकरी पाओ”।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोग सोचते थे कि सरकारी नौकरी पाने के लिए किसी बड़े नेता या अधिकारी की सिफारिश लगानी जरूरी है, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप 55,201 लोगों से पूछ सकते हो जिन्हें नौकरी मिली है, उनमें से किसी ने भी सिफारिश नहीं लगाई। सबको मेहनत और पढ़ाई के दम पर नौकरी मिली है।
युवाओं को संबोधित करते हुए मान ने कहा कि अब आप सरकार के परिवार का हिस्सा बन गए हैं, इसलिए आपकी जिम्मेदारी है कि ईमानदारी और लगन से काम करें। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जैसे कहा जाता है कि “लड़ाई सैनिक लड़ते हैं, लेकिन नाम जनरलों का होता है” – उसी तरह मेहनत आपने की है, मेरा तो सिर्फ नाम है।
उन्होंने शोले फिल्म का मशहूर डायलॉग “सन्नाटा क्यों है?” का जिक्र करते हुए कहा कि यह डायलॉग हमें सिखाता है कि चाहे आपका रोल बड़ा हो या छोटा, उसे इतनी ईमानदारी और मेहनत से निभाओ कि लोग उसे हमेशा याद रखें।
मान ने अपनी राजनीति की कहानी भी साझा की। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में कोई राजनीति में नहीं था – न चाचा, न मामा। उन्होंने खुद मेहनत करके चुनाव लड़ा और सत्ता तक पहुंचे। आज लोग कहते हैं कि पंजाब में कैसा नया मटेरियल आ गया है। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी के विधायकों में 13 डॉक्टर और 7 वकील हैं – यानी सबसे पढ़े-लिखे लोग जनता ने चुने हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि पहले राजनीति सिर्फ जीजा, साला, चाचा या ताया तक सीमित रहती थी। अब पढ़े-लिखे और काबिल लोग राजनीति और सरकार का हिस्सा बन रहे हैं। अंत में, मुख्यमंत्री ने युवाओं को मेहनत और ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी और भरोसा दिलाया कि सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है।