नवगठित नीतीश सरकार ने अपने पहले ही कैबिनेट बैठक में बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेकर प्रदेश के करोड़ों युवाओं में नई उम्मीद जगा दी है. मंगलवार (25 नवंबर) को हुई पहली बैठक में सरकार ने घोषणा की कि आने वाले पांच वर्षों में बिहार के युवाओं को 1 करोड़ नौकरियां दी जाएंगी. यह फैसला न सिर्फ चुनावी वादे को निभाने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि बिहार में औद्योगिक विकास, शहरीकरण और रोजगार सृजन की नई शुरुआत भी माना जा रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि राज्य में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और उद्योगों को नए स्तर पर ले जाने के लिए तेज़ी से काम शुरू कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि 2020 से 2025 के बीच 50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि अब 2025 से 2030 के बीच 1 करोड़ नौकरियां देने का लक्ष्य रखा गया है.
यह लक्ष्य सरकार की उस सोच को दर्शाता है जिसके केंद्र में युवा हैं और जिनके लिए बड़ा अवसर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं.
मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि रोजगार सृजन के लिए एक विशेष समिति बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्य सचिव करेंगे. इस समिति में शामिल होंगे:
इन सभी से सुझाव लेकर रोजगार, निवेश और उद्योग विस्तार से जुड़ी नीतियां तैयार की जाएंगी. इससे न केवल नौकरी के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि बड़े पैमाने पर निवेश आने की भी उम्मीद है.
राज्य सरकार ने चीनी उद्योग को भी फिर से खड़ा करने की तैयारी की है.
चीनी उद्योग के पुनर्जीवन से हजारों युवाओं को सीधा और परोक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है.
बदलते बिहार के साथ सरकार शहरीकरण की प्रक्रिया को भी तेज करना चाहती है. इसके लिए नौ प्रमंडलीय मुख्यालयों के साथ-साथ सोनपुर और सीतामढ़ी में ग्रीन टाउनशिप विकसित की जाएगी.
नीतीश सरकार का यह फैसला न सिर्फ युवाओं के लिए नई ऊर्जा लाता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का प्रयास भी है. यदि यह लक्ष्य धरातल पर उतरा, तो आने वाले वर्षों में बिहार रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो सकता है.