Vitamin B12 Deficiency Skin Symptoms: हमारी त्वचा सिर्फ बाहरी सुंदरता नहीं दिखाती, बल्कि यह शरीर के अंदर चल रही समस्याओं का भी संकेत देती है. कभी-कभी स्किन पर होने वाले बदलाव सिर्फ कॉस्मेटिक नहीं होते, बल्कि अंदरूनी स्वास्थ्य की चेतावनी भी होते हैं. हाल की रिसर्च में देखा गया है कि एकैंथोसिस नाइग्रिकन्स (Acanthosis Nigricans) जैसी त्वचा की स्थिति युवाओं में टाइप-2 डायबिटीज के खतरे से जुड़ी हो सकती है.
स्टडी में ऐसे युवा ओवरवेट लोग शामिल किए गए जिनकी त्वचा पर एएन के लक्षण थे. इसके नतीजे बताते हैं कि जिन लोगों में एएन था, उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा उन मोटे लोगों की तुलना में करीब दो गुना ज्यादा था जिनमें एएन नहीं था. रिसर्च से यह भी पता चला कि इंसुलिन रेजिस्टेंस का मुख्य कारण अक्सर यही त्वचा की स्थिति बनती है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के डेटा के अनुसार, गर्दन के आसपास एएन की गंभीरता सीधे तौर पर फास्टिंग इंसुलिन लेवल और इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ी हुई थी. ऐसे मामलों में डॉक्टर अक्सर ब्लड शुगर और इंसुलिन से जुड़े टेस्ट कराने की सलाह देते हैं.
हर बार त्वचा का काला पड़ना डायबिटीज का संकेत नहीं होता. कुछ मामलों में यह विटामिन B12 की कमी की वजह से भी हो सकता है. B12 की कमी से चेहरे, हथेलियों और त्वचा की सिलवटों में हाइपरपिगमेंटेशन दिखाई दे सकती है.
B12 की कमी के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे:
थकान और कमजोरी हाथ-पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट जीभ में दर्द त्वचा का पीला पड़ना
अगर किसी की त्वचा की सिलवटों में अचानक कालापन आ जाए, वह प्लांट-बेस्ड डाइट लेता हो या पाचन की समस्या हो, तो डॉक्टर आमतौर पर B12 लेवल की जांच करवाते हैं.
कुछ लोगों में कोहनी या घुटनों का कालापन लंबे समय तक रगड़ या दबाव की वजह से भी होता है. लगातार एक ही पोजिशन में बैठना या कोहनी और घुटनों पर दबाव डालना त्वचा पर फ्रिक्शन बढ़ाता है. इससे मेलानिन ज्यादा बनने लगता है और त्वचा मोटी व रूखी हो जाती है. यह कालापन आमतौर पर मखमली नहीं होता और गर्दन या बगल तक नहीं फैलता.
डॉक्टरों के मुताबिक, ऐसे मामलों में लैक्टिक एसिड और यूरिया युक्त क्रीम का कई महीनों तक इस्तेमाल त्वचा की ऊपरी परत को एक्सफोलिएट करता है और रंग हल्का पड़ सकता है. साथ ही मॉइश्चराइजिंग जरूरी है, कोहनी और घुटनों पर लगातार दबाव से बचना चाहिए. एक्जिमा, सोरायसिस या कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस जैसी त्वचा की सूजन के बाद भी काले धब्बे रह सकते हैं. इसे पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन कहते हैं. ऐसे मामलों में पहले सूजन का इलाज जरूरी होता है, फिर मॉइश्चराइज़र और सन प्रोटेक्शन अपनाना चाहिए.
त्वचा का कालापन अगर तेजी से फैलने लगे, खुजलीदार या मोटा हो जाए, या वजन कम होने, कमजोरी और पेट दर्द जैसे लक्षण साथ दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. कुछ दुर्लभ मामलों में एएन का अचानक और गंभीर रूप से उभरना अंदरूनी कैंसर से भी जुड़ा हो सकता है, खासकर बुजुर्गों में.
CDC के अनुसार, एकैंथोसिस नाइग्रिकन्स डायबिटीज से जुड़ी आम त्वचा स्थिति है. इसलिए जिन लोगों में इसके लक्षण दिखें, उन्हें ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेंस की जांच जरूर करानी चाहिए ताकि समय रहते गंभीर बीमारी से बचा जा सके.