Logo

Cancer Treatment in Morning : एक साल तक लंबी हो सकती है जिंदगी, बस बदलना होगा इलाज का वक्त!

Cancer Treatment in Morning : एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि कैंसर मरीज अगर सुबह इलाज लें तो उनकी रिकवरी और जीवनकाल बेहतर हो सकता है. सही समय चुना जाए तो सिर्फ घंटों का फर्क जिंदगी में साल जोड़ सकता है.

👤 Samachaar Desk 08 Aug 2025 09:55 AM

Cancer Treatment in Morning : कैंसर के इलाज की बात आती है तो मरीज और डॉक्टर, दोनों का ध्यान आमतौर पर ट्रीटमेंट के तरीके, दवाओं और डॉक्टर की विशेषज्ञता पर जाता है. लेकिन एक चौंकाने वाली नई रिसर्च बता रही है कि इलाज का समय भी उतना ही जरूरी है जितना कि इलाज खुद. यानी, दिन के किस वक्त इलाज लिया जा रहा है, यह मरीज की रिकवरी और जीवनकाल पर बड़ा असर डाल सकता है.

सुबह का इलाज, बेहतर नतीजे

अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी (ASCO) कॉन्फ्रेंस में चीन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन पेश किया, जिसमें पाया गया कि दोपहर 3 बजे से पहले इम्यूनोथेरेपी या कीमोथेरेपी लेने वाले मरीजों के नतीजे, शाम या रात में इलाज लेने वालों से ज्यादा अच्छे रहे. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अंतर हमारे शरीर की सर्केडियन रिदम यानी बायोलॉजिकल क्लॉक से जुड़ा है. शरीर का इम्यून सिस्टम दिन के अलग-अलग समय पर अलग ढंग से काम करता है और सुबह के समय यह ज्यादा सक्रिय होता है. इसी वजह से सुबह इलाज का असर अधिक प्रभावी हो सकता है.

लंग कैंसर मरीजों पर हुआ परीक्षण

इस स्टडी में एडवांस स्टेज लंग कैंसर के 210 मरीज शामिल किए गए. कुछ मरीजों को सुबह इलाज दिया गया, जबकि बाकी को दोपहर बाद. 18 महीने की निगरानी के बाद सामने आया कि सुबह इलाज पाने वाले मरीजों की सेहत बेहतर रही, उनका कैंसर धीमी गति से बढ़ा और इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया भी मजबूत रही.

पहले भी मिल चुके हैं ऐसे नतीजे

यह पहली बार नहीं है जब समय के महत्व पर जोर दिया गया हो. इससे पहले फ्रांस और चीन के 713 मरीजों पर हुई एक स्टडी में पाया गया कि जो मरीज सुबह 11:30 बजे से पहले इलाज लेते हैं, वे औसतन 33 महीने तक जीवित रहते हैं, जबकि दोपहर बाद इलाज लेने वालों की औसत उम्र केवल 20 महीने रही. यह फर्क लगभग एक साल से भी अधिक का है, जो केवल इलाज के समय बदलने से आया.

आगे के लिए क्या मतलब है ये खोज

विशेषज्ञों का कहना है कि इस निष्कर्ष की बड़ी आबादी पर पुष्टि होना अभी बाकी है. अगर आगे भी यही नतीजे मिलते हैं, तो अस्पतालों और डॉक्टरों को इलाज के समय को लेकर रणनीति बदलनी पड़ सकती है. कल्पना कीजिए, अगर सिर्फ समय सही चुनने से मरीज की जिंदगी लंबी हो सकती है, तो यह ऑन्कोलॉजी की दुनिया में एक बड़ी क्रांति साबित होगी.