Logo

सीक्रेट लेटर से लेकर एससीओ समिट तक… आखिर क्यों पास आ रहे हैं मोदी और जिनपिंग?

अमेरिका की टैरिफ नीति से भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास, लेकिन भारत-चीन रिश्तों में आई गर्माहट. मोदी-जिनपिंग मुलाकात से बदल सकता है एशियाई समीकरण.

👤 Samachaar Desk 30 Aug 2025 10:38 AM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार जगत को हिला दिया है. इस नीति का असर केवल अमेरिका और चीन पर ही नहीं पड़ा, बल्कि एशिया में भारत-चीन के रिश्तों पर भी गहरा प्रभाव देखने को मिला. लंबे समय से ठंडे पड़े संबंधों में अब एक नई शुरुआत की संभावना बन रही है.

गलवान विवाद से रिश्तों में खटास

जून 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष ने भारत-चीन संबंधों को गहरी चोट पहुंचाई थी. सीमा विवाद ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार खड़ी कर दी थी. लेकिन ताजा घटनाक्रम बताता है कि रिश्तों को सुधारने की पहल चीन की ओर से हुई. जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक गुप्त पत्र भेजकर रिश्ते बेहतर बनाने की इच्छा जताई थी.

बैकचैनल बातचीत की शुरुआत

जून 2025 से दोनों देशों के बीच बैकचैनल बातचीत शुरू हुई. इसमें सीमा विवाद, व्यापारिक अड़चनों और गलवान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई. अगस्त में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा इस दिशा में अहम कदम साबित हुई. इस दौरान चीन ने भारत की चिंताओं पर सकारात्मक रुख दिखाया और विशेष रूप से खाद, दुर्लभ धातुओं और टनलिंग मशीनों के आयात को लेकर आश्वासन दिया.

मोदी-जिनपिंग मुलाकात पर नजरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में तय है. सात साल बाद पीएम मोदी चीन की यात्रा कर रहे हैं. इस मुलाकात में मुख्य मुद्दे होंगे:

1. सीमा विवाद कम करने के ठोस उपाय

2. व्यापारिक साझेदारी और निवेश बढ़ाना

3. क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना

यह बैठक दोनों देशों के लिए निर्णायक मानी जा रही है.

अमेरिका के साथ तनाव, चीन के साथ नजदीकी

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव पैदा हुआ है. कई अमेरिकी विश्लेषक और रिपब्लिकन नेता भी इस कदम की आलोचना कर चुके हैं. ऐसे समय में भारत और चीन का करीब आना दोनों देशों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकता है.

एशिया की राजनीति में नया समीकरण

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन मिलकर टैरिफ बाधाओं को कम कर सकते हैं. इससे न केवल एशिया में स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि निवेश और विकास की संभावनाएं भी मजबूत होंगी. साथ ही अमेरिका पर निर्भरता घटेगी और दोनों देश साझा हितों पर काम कर पाएंगे.

कुल मिलाकर, ट्रंप की टैरिफ नीति ने जहां अमेरिका के साथ रिश्तों में तनाव पैदा किया है, वहीं भारत और चीन को एक नए समीकरण की ओर धकेल दिया है.