भारत जैसे विशाल देश में ट्रेन न केवल आम आदमी की जीवनरेखा है, बल्कि यह हर दिन करोड़ों यात्रियों को एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचाने का सबसे सस्ता और सुविधाजनक जरिया भी है. लेकिन जितना भरोसेमंद यह सफर होता है, उतना ही जरूरी है कि आप रेलवे के बनाए नियमों का पालन करें. अक्सर देखा गया है कि यात्री अपनी सुविधा के अनुसार नियम तोड़ने लगते हैं, जिससे न सिर्फ अन्य यात्रियों को दिक्कत होती है, बल्कि कई बार खुद को भी कानूनी झंझट में डाल बैठते हैं.
रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण नियम बनाए हैं. इन नियमों का पालन करना हर यात्री की जिम्मेदारी है. जैसे कि, ट्रेन की मिडिल बर्थ (बीच की सीट) का उपयोग दिन में जबरदस्ती नहीं किया जा सकता. इसका समय रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक तय किया गया है. अगर कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है, तो इससे दूसरे यात्रियों की सुविधा पर असर पड़ता है.
ट्रेन में सफर के दौरान धूम्रपान पूरी तरह से प्रतिबंधित है. अगर कोई यात्री ट्रेन में सिगरेट पीते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसी तरह मोबाइल फोन पर तेज आवाज में बात करना या स्पीकर पर म्यूजिक बजाना भी एक तरह से अनुशासनहीनता मानी जाती है. ऐसे व्यवहार से अन्य यात्री असहज हो सकते हैं और शिकायत करने पर रेलवे स्टाफ तुरंत कार्रवाई कर सकता है.
रेलवे ने रात के समय यात्रियों को शांति और आराम देने के लिए कुछ विशेष नियम लागू किए हैं. रात 10 बजे के बाद यात्रियों को तेज आवाज में बात करने, मोबाइल स्पीकर पर कुछ सुनने या लगातार लाइट जलाकर रखने की अनुमति नहीं है. कई लोग नींद में बाधा बनने वाले ऐसे कामों को सामान्य मान लेते हैं, लेकिन रेलवे इसे गंभीरता से लेता है और बार-बार चेतावनी के बाद जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
अगर आपकी सीट नीचे की है और आप देर तक जागना चाहते हैं, लेकिन मिडिल बर्थ वाले यात्री को सोना है, तो आप उसे सीट न खोलने की जिद नहीं कर सकते. यह एक सामाजिक और नियम आधारित शिष्टाचार है. मिडिल बर्थ का उपयोग निर्धारित समय में किया जाता है और आपको इसका सम्मान करना होगा.
ट्रेन में यात्रा करना जितना सुविधाजनक है, उतना ही आवश्यक है कि हम अनुशासन और नियमों का पालन करें. ये नियम किसी पर जोर-जबरदस्ती नहीं, बल्कि एक बेहतर और सुरक्षित यात्रा अनुभव देने के लिए बनाए गए हैं.