भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने हाल ही में विपक्ष द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों पर सफाई दी और कहा कि मतदाताओं की गोपनीयता की वजह से वह मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज साझा नहीं कर सकता।
दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ऐसे आरोप मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश हैं और यह संविधान का अपमान है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग हमेशा सभी धर्मों और वर्गों के मतदाताओं के साथ खड़ा है और निडर होकर अपना काम करता रहेगा।
ज्ञानेश कुमार ने यह भी बताया कि कांग्रेस जैसी पार्टियों को मशीन से पढ़ी जाने वाली मतदाता सूचियाँ (machine-readable voter list) क्यों नहीं दी गईं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही मान चुका है कि इससे मतदाताओं की निजी जानकारी (privacy) खतरे में पड़ सकती है।
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ नेताओं ने मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति मीडिया में दिखाई और उस पर आरोप लगाए। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “क्या हमें किसी की माँ, बहन, बहू या किसी महिला मतदाता का मतदान करते हुए सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक कर देना चाहिए?”
उन्होंने बताया कि हर चुनाव में 1.3 करोड़ से ज्यादा अधिकारी, बूथ एजेंट और उम्मीदवारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ऐसे पारदर्शी सिस्टम में वोट चोरी संभव नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “दो बार वोट डालने” के दावे के समर्थन में कोई सबूत अब तक सामने नहीं आया है।
राहुल गांधी को पहले चुनाव आयोग ने शपथ लेकर सबूत देने की चुनौती दी थी, जिस पर राहुल ने कहा था कि वह पहले ही सांसद के रूप में संविधान की शपथ ले चुके हैं और चुनाव आयोग चाहे तो उनके बताए आंकड़ों की जांच कर सकता है।
ज्ञानेश कुमार ने दोहराया कि चुनाव आयोग झूठे आरोपों से न तो डरता है और न ही मतदाताओं को डराने देगा।