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Ola Uber Strike : ओला-उबर की हड़ताल से हिला मुंबई! यात्रियों को उतारा गया कैब से, एयरपोर्ट तक जारी अफरातफरी

Ola Uber Strike : हजारों कैब ड्राइवर सड़कों पर, ऐप्स ठप, एयरपोर्ट अलर्ट पर! किराए और अधिकारों को लेकर शुरू हुई हड़ताल ने मुंबई की रफ्तार रोक दी है. यात्रियों को बीच रास्ते में उतारा जा रहा है, कैब्स से मिल रही धमकियां. आखिर क्या चाहते हैं ये ड्राइवर? आइए जानते हैं पूरा मामला…

👤 Samachaar Desk 18 Jul 2025 08:52 AM

Ola Uber Strike : मुंबई की तेज रफ्तार जिंदगी में अचानक ब्रेक लग गया है. ओला और उबर जैसे ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट पर निर्भर लाखों यात्रियों को 15 जुलाई से हो रही ड्राइवरों की हड़ताल ने जबरदस्त तरीके से प्रभावित किया है. हड़ताल केवल किराया विवाद तक सीमित नहीं है—यह गिग इकॉनमी में काम कर रहे लाखों ड्राइवरों की नाराजगी और सिस्टम से असंतोष का संकेत है.

बुधवार को प्रदर्शन का दूसरा दिन था, जब महाराष्ट्र के कोने-कोने से हजारों ड्राइवर मुंबई के आजाद मैदान में इकट्ठा हुए. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि मुंबई एयरपोर्ट को यात्रियों को वैकल्पिक परिवहन साधन चुनने की सलाह तक देनी पड़ी.

कैब नहीं मिलेगी, योजना बनाकर आएं

मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने 'X' (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट जारी कर यात्रियों को आगाह किया कि ऐप-आधारित कैब सेवा फिलहाल बाधित रह सकती है. पोस्ट में यात्रियों से अनुरोध किया गया कि वे समय रहते वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था की योजना बनाएं.

यह चेतावनी उस वक्त आई जब सैकड़ों फ्लाइट यात्रियों को एयरपोर्ट तक पहुंचने या वहां से निकलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

शहर में बढ़ी असुविधा:

आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन के साथ ही शहर भर में उबर और ओला कैब्स की संख्या में भारी गिरावट आई. कई यात्रियों ने शिकायत की कि ड्राइवरों ने बीच रास्ते में ही उन्हें जबरदस्ती गाड़ी से उतार दिया.

कुछ मामलों में यात्रियों को धमकी भी दी गई कि वे हड़ताल के दौरान कैब का उपयोग न करें. यह स्थिति सुरक्षा और उपभोक्ता अधिकारों को लेकर भी चिंता पैदा करती है.

क्या हैं हड़ताल की मुख्य मांगें?

ड्राइवर यूनियनों का कहना है कि यह सिर्फ किराया विवाद नहीं, बल्कि पूरे ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार की जरूरत का मामला है. उनकी प्रमुख मांगें हैं:

ऐप-आधारित कैब का किराया मीटर टैक्सी के बराबर लाया जाए बाइक टैक्सियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए कैब और ऑटो के परमिट की संख्या को सीमित किया जाए कैब/टैक्सी चालकों के लिए कल्याण बोर्ड बनाया जाए “महाराष्ट्र गिग वर्कर्स एक्ट” को लागू किया जाए.

कैब ड्राइवरों की नाराजगी

प्रदर्शनकारी ड्राइवरों का आरोप है कि ओला और उबर जैसी कंपनियां किराए का बड़ा हिस्सा खुद रखती हैं, जिससे उनके लिए रोजगार चलाना मुश्किल हो गया है. नागपुर से आए एक ड्राइवर ने कहा, “हमें धमकाया जाता है, ऐप से जब चाहे हटाया जाता है. सारा जोखिम हमारा है और फायदा सिर्फ कंपनियों का. अब हम चुप नहीं रहेंगे.” ड्राइवरों का कहना है कि वे लंबे समय से इन मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन सुनवाई न होने पर अब सड़कों पर उतरना ही एकमात्र रास्ता बचा.

क्या असर होगा इस हड़ताल का?

मुंबई जैसे महानगर में, जहां लाखों लोग रोज ऐप बेस्ड कैब का इस्तेमाल करते हैं, इस हड़ताल का असर व्यापक है. न केवल आम यात्रियों की परेशानी बढ़ी है, बल्कि लॉजिस्टिक्स, ऑफिस कम्यूट और एयरपोर्ट ट्रैफिक भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

अगर सरकार और कंपनियों के बीच जल्द बातचीत नहीं होती, तो यह हड़ताल लंबी खिंच सकती है, जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर बड़ा दबाव पड़ सकता है.