कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाया है. बुधवार, 5 नवंबर को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दावा किया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान धांधली हुई थी. राहुल गांधी ने कहा कि जनता का असली जनादेश छीना गया है और इस पर चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए.
लेकिन अब चुनाव आयोग की ओर से इस पर अहम जानकारी सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से किसी भी तरह की आधिकारिक शिकायत या अपील दायर नहीं की गई. यानी, अगर राहुल गांधी या उनकी पार्टी को चुनाव में गड़बड़ी का शक था, तो उन्हें उसी समय कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी आपत्ति दर्ज करनी चाहिए थी.
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 22 चुनाव याचिकाएं ही हाईकोर्ट में लंबित हैं. इन याचिकाओं में से कोई भी कांग्रेस की तरफ से नहीं दायर की गई है. चुनाव आयोग के मुताबिक, अगर किसी उम्मीदवार को लगता है कि वोटिंग प्रक्रिया में धांधली हुई है या वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है, तो उसे हाईकोर्ट में अपील दायर करने का अधिकार है. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर सवाल उठाया है. आयोग ने कहा, “अगर मतदान के दौरान किसी मतदाता की पहचान पर संदेह था या किसी ने पहले ही वोट डाल दिया था, तो कांग्रेस के पोलिंग एजेंटों को वहीं आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए थी.”
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान केंद्रों पर हर पार्टी के पोलिंग एजेंट मौजूद रहते हैं, जिनका काम ही गड़बड़ियों पर नजर रखना होता है.
राहुल गांधी ने अपने बयान में फर्जी मतदाताओं का भी जिक्र किया था. इस पर चुनाव आयोग ने दो टूक कहा, “अगर फर्जी मतदाता मौजूद थे, तो कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (BLA) ने संशोधन के दौरान कोई आपत्ति क्यों नहीं उठाई? और अगर फर्जी वोटर थे भी, तो कैसे साबित किया जा सकता है कि उन्होंने भाजपा के लिए ही वोट किया?”
राहुल गांधी के आरोपों के बाद एक बार फिर वोट चोरी बनाम चुनाव पारदर्शिता की बहस छिड़ गई है. लेकिन चुनाव आयोग के जवाब ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस ने न तो किसी स्तर पर आपत्ति दर्ज कराई और न ही कोई सबूत पेश किया. अब सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी का यह दावा सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी था, या इसके पीछे कोई ठोस सबूत मौजूद है — यह आने वाला वक्त बताएगा.