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Delhi Blast: ISIS समर्थक उमर-उन-नबी और उसके साथियों में कैसे बढ़ गई इतनी खाई? जांच में चौंकाने वाले खुलासे

Delhi Blast: दिल्ली बम धमाके की जांच में बड़ा खुलासा—ISIS समर्थक उमर-उन-नबी और उसके साथियों के बीच विचारधारा, फंडिंग और हमले के तरीके को लेकर गंभीर मतभेद थे. पढ़ें पूरी कहानी कि कैसे इस विवाद ने गुट में तनाव बढ़ाया.

👤 Samachaar Desk 23 Nov 2025 04:22 PM

दिल्ली बम धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए और चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. ताज़ा जानकारी के मुताबिक, सुसाइड बॉम्बर बताए जा रहे कश्मीरी डॉक्टर उमर-उन-नबी न सिर्फ अपने गुट से अलग सोच रखता था, बल्कि उसकी सोच इतनी कट्टर हो चुकी थी कि वह अपने ही नेटवर्क से दूरी बनाने लगा था.

हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा उमर ISIS की विचारधारा से प्रभावित था, जबकि उसके बाकी साथी अंसार गजवत-उल-हिंद (AGH) और अल-कायदा समर्थित संगठनों से जुड़े हुए थे. यही विचारधारा का टकराव बाद में बड़े विवाद में बदल गया.

आईडियोलॉजी की लड़ाई: ISIS बनाम अल-कायदा वाली सोच

जांच रिपोर्टों के अनुसार, उमर-उन-नबी की सोच बाकी गुट के मुकाबले बेहद कट्टर थी. हालांकि ISIS और अल-कायदा दोनों ही सलाफी विचारधारा से प्रभावित हैं, लेकिन उनके टारगेट, संघर्ष का तरीका और दुनिया को देखने का नजरिया बिल्कुल अलग है.

उमर जहां ISIS की तरह वैश्विक स्तर पर “बड़े हमलों” के पक्ष में था, वहीं उसके साथी ज्यादा “स्थानीय” उद्देश्यों को प्राथमिकता देते थे.

मतभेद इन मुद्दों पर थे

किस तरह की हिंसा उचित है हमला स्थानीय हो या वैश्विक संदेश देने वाला खिलाफत स्थापित करने का रास्ता कौन सा संगठन “सही जिहादी रास्ता” मानता है. इन्हीं मतभेदों के कारण गुट में तनाव बढ़ा और उमर खुद को सबसे कट्टर मानने लगा.

शादी में भी नहीं गया — बढ़ते विवाद के संकेत

रिपोर्ट के मुताबिक, उमर में चल रहा गुस्सा और दूरी तब दिखी जब उसने साथी आतंकी अदील अहमद राथर की शादी में जाने से ही इनकार कर दिया. यह पहला बड़ा संकेत था कि ग्रुप के अंदर सब ठीक नहीं है. लेकिन अक्टूबर में उमर काजीगुंड गया और सबके साथ समझौता कर लिया, क्योंकि उन सभी का लक्ष्य एक था कई जगह एक साथ धमाके करना.

पैसों पर फूटा बड़ा बवाल

सिर्फ विचारधारा ही नहीं, पैसों की गड़बड़ी भी इस गुट की बड़ी समस्या बन गई. जांच में सामने आया कि धमाके की तैयारी, विस्फोटक और अन्य सामान के लिए करीब 26 लाख रुपये इकट्ठे किए गए थे.

योगदान इस प्रकार था: अदील अहमद राथर – 8 लाख मुजफ्फर अहमद राथर – 6 लाख शाहीन सईद – 5 लाख मुजम्मिल शकील – 5 लाख उमर – 2 लाख

उमर से जब पैसे का विस्तृत हिसाब मांगा गया तो वह बुरी तरह भड़क गया. उसका मानना था कि खर्च को लेकर सवाल पूछना “उसकी निष्ठा पर शक” करने जैसा है.

उमर चाहता था ‘ड्रामेटिक’ हमला

रिपोर्ट कहती है कि उमर बड़ा, हाई-इंपैक्ट और “नाटकीय” ब्लास्ट चाहता था जिससे दुनिया का ध्यान जाए, ठीक ISIS स्टाइल में. जबकि उसके साथी ज्यादा नियंत्रण में रहकर हमला करना चाहते थे ताकि कार्रवाई के बाद पकड़े जाने की संभावना कम हो. यही सोच का अंतर ग्रुप को दो हिस्सों में बांट रहा था, लेकिन फिर भी सभी ने मिलकर धमाका प्लान करने का फैसला कर लिया.