Sunny Deol : सनी देओल, जिनकी गरजती आवाज और दमदार डायलॉग्स आज भी दर्शकों के दिलों में गूंजते हैं, बॉलीवुड के उन गिने-चुने सितारों में से हैं जिन्होंने देशभक्ति और जज्बे को पर्दे पर बखूबी जिया है. "तारासिंह" बनकर पाकिस्तान में नल उखाड़ लाने वाले सनी देओल, न केवल फैंस के फेवरेट हैं बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में एक अलग पहचान बनाई है.
18 अक्टूबर को सनी देओल अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास मौके पर उनके जीवन की कुछ अनकही कहानियां फिर से चर्चा में हैं. पंजाब में अभिनेता धर्मेंद्र और प्रकाश कौर के घर जन्मे सनी बचपन से ही फिल्मों के करीब थे. हालांकि फिल्मी घराने से ताल्लुक रखने के कारण उन्हें इंडस्ट्री में आने का रास्ता थोड़ा आसान लगा, पर उनका व्यक्तिगत जीवन कुछ आसान नहीं रहा. सनी देओल बचपन में डिस्लेक्सिया नामक समस्या से जूझते थे, जिससे पढ़ने, लिखने और याद रखने में उन्हें काफी परेशानी होती थी. उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि इस समस्या के कारण उन्हें अक्सर मार भी खानी पड़ी थी. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जुनून के दम पर आगे बढ़ते रहे.
बहुत कम लोग जानते हैं कि सनी देओल का असली नाम अजय सिंह है. लेकिन फिल्मों में आने से पहले उनके पिता धर्मेंद्र ने उन्हें ‘सनी’ नाम दिया, जो बाद में उनकी पहचान बन गया. सनी देओल ने एक्टिंग में अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए बर्मिंघम के ओल्ड वर्ल्ड थिएटर से ट्रेनिंग ली थी. ये प्रशिक्षण ही उनकी मजबूत स्क्रीन प्रेज़ेंस और बेहतरीन परफॉर्मेंस का आधार बना.
सनी देओल के एक्टिंग की नींव में उनके पिता धर्मेंद्र का अनुशासन और मार्गदर्शन भी अहम रहा. धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने बेटे सनी को पहली फिल्म बेताब के लिए स्कूल बॉय की तरह ट्रेन किया. यहां तक कि जब सनी ने फिल्म की डबिंग पूरी की, तो धर्मेंद्र ने पूरी डबिंग को दोबारा करवाया क्योंकि उन्हें वो पसंद नहीं आई थी. वे रात-रात भर सनी को बिठाकर डबिंग सिखाते थे, जिससे एक्टर की हालत एक स्कूली छात्र जैसी हो जाती थी.
सनी देओल ने एक लंबा ब्रेक लेने के बाद 'गदर 2' से धमाकेदार वापसी की. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कमाई की और एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सनी देओल का क्रेज कभी खत्म नहीं होता. इसके बाद 'जाट' फिल्म ने भी अच्छी सफलता पाई। अब फैंस उनकी आने वाली फिल्म 'लाहौर 1947' का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
आज जब सनी देओल 68 वर्ष के हो चुके हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपने पिता धर्मेंद्र की विरासत को न सिर्फ संभाला, बल्कि उसमें नया रंग भी भरा। उन्होंने जो भी सीखा, उसे मेहनत और ईमानदारी के साथ अपनी फिल्मों में उतारा. चाहे बात हो देशभक्ति की या पारिवारिक मूल्यों की, सनी की फिल्मों में भावनाओं की गहराई हमेशा देखने को मिलती है.