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Surya Grahan 2025: कब, कहां और कैसा होगा इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?

Surya Grahan 2025 : इस साल लगने जा रहा है साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण ! क्या इसका असर होगा? सूतक लगेगा या नहीं? जवाब चौंकाने वाला है…

👤 Samachaar Desk 01 Aug 2025 09:33 AM

Surya Grahan 2025: सूर्य ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि इसका गहरा ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व होता है. 2025 में लगने जा रहे दूसरे सूर्य ग्रहण को लेकर लोगों में खासा उत्साह और जिज्ञासा है. आइए इस घटना को वैज्ञानिक तथ्यों और धार्मिक मान्यताओं के साथ विस्तार से समझते हैं.

सूर्य ग्रहण क्या है?

जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य को ढक लेता है, तब सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है. इस दौरान सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पूरी तरह या आंशिक रूप से धरती पर नहीं पहुंच पाता. यह नजारा देखने में जितना अद्भुत होता है, इसके पीछे का विज्ञान भी उतना ही दिलचस्प होता है.

सूर्य ग्रहण के प्रकार: तीन रूपों में होता है प्रकट

1.⁠ ⁠पूर्ण सूर्य ग्रहण – इसमें सूर्य पूरी तरह ढक जाता है और धरती का एक हिस्सा अंधकारमय हो जाता है. यह दुर्लभ होता है और हर 100 साल में एक बार ही देखने को मिलता है.

2.⁠ ⁠आंशिक सूर्य ग्रहण – इसमें चंद्रमा सूर्य के केवल कुछ हिस्से को ही ढकता है.

3.⁠ ⁠वलयाकार सूर्य ग्रहण – इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहते हैं। इस दौरान चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है, लेकिन किनारे चमकते रहते हैं, जिससे सूर्य अंगूठी जैसा दिखता है.

2025 में सूर्य ग्रहण की तारीख और समय

साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 11:00 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर को तड़के 3:24 मिनट तक चलेगा. इसकी कुल अवधि 4 घंटे 24 मिनट की होगी.

क्या भारत में दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण?

नहीं, इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा. यह अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, समोआ, फिजी और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में नजर आएगा. भारत में यह खगोलीय घटना घटेगी जरूर, लेकिन आंखों से नहीं दिखेगी.

भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा

सूर्य ग्रहण के साथ आमतौर पर सूतक काल जुड़ा होता है, जो धार्मिक कार्यों की रोक के लिए जाना जाता है. लेकिन चूंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. इसका मतलब है कि धार्मिक गतिविधियों या पूजा-पाठ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

निष्कर्ष: जानकारी रखें, डरें नहीं

भले ही सूर्य ग्रहण भारत में न दिखे, लेकिन इसकी जानकारी रखना जरूरी है. वैज्ञानिक नजरिए से यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जबकि धार्मिक दृष्टिकोण से इससे जुड़ी मान्यताएं भी अहम होती हैं. फर्क बस इतना है कि जब यह आंखों से दिखाई देता है, तभी इसका धार्मिक असर माना जाता है.