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Sawan Shivratri 2025: भोलेनाथ को प्रसन्न करने का सबसे शुभ अवसर, जानें पूजा विधि और मुहूर्त

सावन शिवरात्रि 2025, 23 जुलाई को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम अवसर होता है. रात्रि के चारों प्रहरों में अभिषेक और पूजा करने से विशेष फल मिलता है.

👤 Samachaar Desk 22 Jul 2025 10:11 PM

सावन माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व अन्य महीनों की शिवरात्रियों से कहीं अधिक होता है. यह व्रत और पूजा विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे करने से भक्तों की मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण हो जाती हैं. इस वर्ष यह पावन पर्व 23 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा.

सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन महीना स्वयं में ही भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है. ऐसे में इस महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाली शिवरात्रि अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है. इस दिन चारों प्रहर में रात्रि पूजन, जलाभिषेक और व्रत रखने की विशेष मान्यता है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह दिन सबसे उत्तम माना गया है क्योंकि वे बहुत ही शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इसीलिए उन्हें ‘आशुतोष’ कहा जाता है.

पूजा के मुहूर्त

1 शिवरात्रि व्रत तिथि प्रारंभ: 23 जुलाई, सुबह 4:39 बजे 2 शिवरात्रि व्रत तिथि समाप्त: 24 जुलाई, सुबह 2:28 बजे 3 निशिता काल पूजा: 24 जुलाई, रात 12:07 AM से 12:48 AM तक

प्रहर अनुसार पूजा:

1 पहला प्रहर: 7:17 PM – 9:53 PM

2 दूसरा प्रहर: 9:53 PM – 12:28 AM

3 तीसरा प्रहर: 12:28 AM – 3:03 AM

4 चौथा प्रहर: 3:03 AM – 5:38 AM

5 पारण (व्रत समाप्ति): 24 जुलाई, सुबह 5:38 AM

पूजा विधि

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

2. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें.

3. शिव जी के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें.

4. बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, चंदन, और मिठाई अर्पित करें.

5. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें.

6. रात्रि के चारों प्रहर में जलाभिषेक करें और आरती करें.

जरूरी पूजा सामग्री

पुष्प, पंचमेवा, पंचामृत, गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, भोग के लिए मिठाई, धूप, दीपक, चंदन, रूई, शिव-पार्वती का श्रृंगार सामग्री, और शिव चालीसा की प्रति.

सावन शिवरात्रि पर की गई पूजा और व्रत से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं. यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि सुख-समृद्धि प्राप्त करने का विशेष अवसर है. इस दिन की गई साधना, उपासना और व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.

(Disclaimer: यह स्टोरी सामान्य जानकारियों पर आधारित है. किसी भी तरह की समस्या में विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.)