दिसंबर 2025 इस बार बेहद खास है, क्योंकि इस महीने तीन–तीन एकादशियों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. मोक्षदा एकादशी के बाद अब पौष कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी 15 दिसंबर को पड़ रही है. हिंदू धर्म में यह एकादशी खास इसलिए भी मानी जाती है क्योंकि कहा जाता है कि सफला एकादशी का व्रत 5,000 वर्ष की तपस्या के बराबर पुण्य देता है. यानी यह व्रत जीवन के हर काम को सफल बनाने वाला माना जाता है.
पूजा का मुहूर्त: सुबह 7:06 बजे से सुबह 8:24 बजे तक व्रत पारण: 16 दिसंबर को सुबह 7:07 से 9:11 बजे तक द्वादशी समाप्ति: रात 11:57 बजे
इन शुभ समयों में पूजा और पारण करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, लुम्पक नाम का एक राजा का पुत्र अत्यंत दुष्ट, पापी और अपराधों में लिप्त था. राजा ने उसे राज्य से निकाल दिया. वह जंगल में जाकर ठंड और भूख से परेशान जीवन बिताने लगा. एक बार पौष कृष्ण एकादशी की रात वह अनजाने में उपवास और रात्रि जागरण कर बैठा.
उसके भीतर अचानक भगवान विष्णु के प्रति भक्ति जागी और उसी एकादशी के पुण्य से वह पापमुक्त होकर वैकुंठ पहुंच गया. इस कथा के कारण इसे "सफला" यानी सफलता देने वाली एकादशी कहा जाता है.
यह व्रत बेहद सरल है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है:
1. संकल्प
सुबह स्नान कर भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लें.
2. उपवास
पूरे दिन अन्न त्याग करें. भूखे न रह सकने वाले लोग
फलाहार दूध जूस का सेवन कर सकते हैं.
3. पूजा और मंत्र-जप
सुबह और शाम विष्णु भगवान की पूजा करें. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जितना हो सके उतना जाप करें. विष्णु पुराण या एकादशी की कथा सुनें/पढ़ें.
4. द्वादशी का नियम
अगले दिन सुबह विष्णु जी की दोबारा पूजा करें. पहले जरूरतमंदों को भोजन कराएं, फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें. इसी से व्रत पूरा माना जाता है.
इन उपायों को बेहद शुभ माना गया है—
1. पीला ध्वज लगाना
घर की छत या मुख्य द्वार पर पीला ध्वज लगाने से घर में सुख, संपत्ति और शांति आती है.
2. उत्तर दिशा में गेंदा फूल लगाना
कहा जाता है कि भगवान विष्णु को गेंदा बेहद प्रिय है. इस दिन उत्तर दिशा में गेंदा लगाने से जीवन में रुकावटें दूर होती हैं.
सफला एकादशी सिर्फ उपवास का दिन नहीं, बल्कि सफलता और पापमुक्ति का पर्व है. जीवन की कठिनाइयों, बाधाओं और असफलताओं से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है. श्रद्धा और नियम से इस व्रत को करने से व्यक्ति को दिव्य फल प्राप्त होता है यह सिर्फ मान्यता नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही आस्था है.