संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर, सोमवार को शुरू हुआ, और पहले ही दिन कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी एक अनोखी और विवादास्पद घटना के कारण सुर्खियों में आ गईं. दरअसल, उन्होंने अपनी गाड़ी में अपने पालतू कुत्ते के साथ संसद परिसर में प्रवेश किया. उनका यह वीडियो सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद बीजेपी ने इसे संसद की गरिमा का उल्लंघन बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
रेणुका चौधरी का यह वीडियो सामने आते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई. बीजेपी सांसदों ने इसे संसद की गंभीरता और प्रतिष्ठा के खिलाफ बताते हुए संसद की नियमावली के उल्लंघन का आरोप लगाया. उनके इस कदम को लोकतंत्र के लिए अनुचित और अस्वीकार्य बताया गया.
जब मीडिया ने इस घटना पर उनसे सवाल किया, तो उन्होंने विवादास्पद बयान देते हुए कहा, “इसमें क्या तकलीफ है? एक छोटा-सा गूंगा जानवर अंदर आ गया. काटने वाला नहीं है. काटने वाले तो और लोग हैं पार्लियामेंट के अंदर.” उनका यह बयान सामने आते ही विवाद और गहरा गया.
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को अनावश्यक रूप से बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर सरकार को सत्र की गंभीरता की चिंता थी, तो एक महीने के तय सत्र को केवल पंद्रह दिन क्यों घटाया गया. उनका कहना था कि सत्र छोटा करके ही विपक्ष के मुद्दों को दबाया जा रहा है.
बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने रेणुका चौधरी के इस कदम की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि संसद देश की नीतियों और कानून निर्माण का गंभीर मंच है. “अपने पालतू कुत्ते को लेकर संसद पहुंचना और फिर ऐसी टिप्पणियां करना देश की संसद की प्रतिष्ठा के खिलाफ है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह लोकतंत्र के मूल्यों के लिए अपमानजनक है.”
पाल ने यह भी कहा कि सांसदों को विशेषाधिकार का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और हाउस के अंदर इस तरह का व्यवहार अनुचित माना जाएगा.
रेणुका चौधरी के इस कदम ने संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा छेड़ दी है. समर्थक इसे नया और अलग अंदाज मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संसद की गरिमा का उल्लंघन बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी #RenukaChaudharyDog और #ParliamentControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.
इस विवाद ने स्पष्ट कर दिया है कि संसद में किसी भी गैर-परंपरागत कदम पर तुरंत राजनीतिक और मीडिया की नजर रहती है. इस घटना के चलते संसद के नियम और सांसदों के विशेषाधिकारों पर बहस और भी तेज होने की संभावना है.