Sankashti Chaturthi Vrat 2025: भारत की धार्मिक परंपराओं में व्रत और उपवास का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि देवताओं और महापुरुषों ने भी अपने जीवन के कठिन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए व्रतों और तपस्या का सहारा लिया. ऐसा ही एक पौराणिक प्रसंग भगवान हनुमानजी से जुड़ा है, जिन्होंने लंका तक का कठिन सफर गणाधिप संकष्टी व्रत के प्रभाव से पूरा किया था.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया, तब भगवान श्रीराम की आज्ञा से हनुमानजी उनकी खोज में निकले. कई जगहों की यात्रा करने के बाद वे समुद्र तट पर पहुंचे, जहां उनकी भेंट पक्षीराज सम्पाती से हुई. सम्पाती ने उन्हें बताया कि सीता माता लंका में हैं और वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें विशाल समुद्र पार करना होगा.
सम्पाती ने ये भी सलाह दी कि यदि हनुमानजी भगवान गणेश की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करेंगे, तो उन्हें वो अद्भुत शक्ति प्राप्त होगी जिससे वे समुद्र को पार कर सकेंगे. हनुमानजी ने सम्पाती के कहे अनुसार पूरे श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत किया.
कहते हैं कि गणाधिप संकष्टी व्रत के प्रभाव से हनुमानजी के भीतर अलौकिक शक्ति का संचार हुआ. इस शक्ति से उन्होंने लंका की ओर विशाल छलांग लगाई और माता सीता को खोज निकाला. इसी कारण यह व्रत “संकटमोचन व्रत” भी कहा जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन के संकटों को दूर करने में सहायक माना जाता है.
गणाधिप संकष्टी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. माना जाता है कि इस दिन उपवास रखकर गणेशजी की आराधना करने से मानसिक बल, बुद्धि और विजय प्राप्त होती है.
जैसे हनुमानजी ने इस व्रत के प्रभाव से अपने जीवन का सबसे कठिन कार्य समुद्र पार करने का सफलतापूर्वक पूरा किया, वैसे ही श्रद्धापूर्वक व्रत रखने वाला भक्त अपने जीवन की चुनौतियों को पार कर सकता है.