Krishna Janmashtami Date Time: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का इंतजार भक्त पूरे साल करते हैं. इस पर्व को श्रीकृष्ण जयंती, गोकुलाष्टमी, श्री जयंती और कृष्णाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव 16 अगस्त 2025 को बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. खास बात यह है कि इस साल कई दुर्लभ योग भी बन रहे हैं, जो इसे और पावन बना देंगे.
पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त रात 11:49 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 9:34 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन ज्वालामुखी योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग का निर्माण होगा. सुबह 6:06 बजे तक भरणी नक्षत्र और उसके बाद कृत्तिका नक्षत्र रहेगा.
इस शुभ दिन चंद्रमा सुबह 11:43 बजे तक मेष राशि में रहेंगे और उसके बाद वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे. बुध कर्क राशि में, मंगल कन्या राशि में और सूर्य सिंह राशि में रहेंगे. यह संयोजन त्रिएकादश योग और लाभ दृष्टि योग का निर्माण करेगा, जो पूजा और व्रत के लिए अत्यंत मंगलकारी माने जाते हैं.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा निशीथ काल (मध्यरात्रि) में करना सर्वोत्तम होता है, क्योंकि इसी समय भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ था.
निशीथ पूजा मुहूर्त: रात 12:04 से 12:45 (16 अगस्त) मध्यरात्रि का क्षण: 12:25 AM (17 अगस्त) चंद्रोदय समय: रात 11:32 (16 अगस्त)
1. लड्डू गोपाल को भोग में तुलसी पत्ती अवश्य चढ़ाएं.
2. राहुकाल में व्रत का संकल्प न लें, बल्कि प्रातःकाल या ब्रह्म मुहूर्त में लें.
3. मास-मदिरा और तामसिक भोजन से पूरी तरह बचें.
4. व्रत में अन्न का सेवन न करें.
5. भोग बनाने में प्याज-लहसुन का उपयोग न करें.
6. पूजा में काले कपड़े न पहनें; पीले वस्त्र सबसे शुभ माने जाते हैं.
7. व्रत का पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के पश्चात करें.
8. किसी का दिल न दुखाएं, वाद-विवाद और अपमान से दूर रहें.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और धर्म की जीत का संदेश देने वाला पावन अवसर है. इस दिन भक्ति भाव से पूजा, व्रत और दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और भगवान कृष्ण की कृपा अवश्य प्राप्त होती है.