Vishwakarma Puja 2025: हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार और ब्रह्मांड का महान वास्तुकार माना गया है। माना जाता है कि उन्होंने ही देवताओं के महल, अस्त्र-शस्त्र, लंका नगरी और द्वारका जैसी भव्य नगरी का निर्माण किया था। हर साल विश्वकर्मा पूजा बड़े धूमधाम और श्रद्धा से की जाती है। यह दिन खास तौर पर कारीगरों, इंजीनियरों, आर्किटेक्ट्स और मशीनों से जुड़े लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थल की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से सफलता, समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं। यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि मेहनत, कला और प्रगति का भी प्रतीक है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा का संदेश है कि हमें अपने काम, औजारों और मेहनत का सम्मान करना चाहिए। मान्यता है कि पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है।
विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
अमृत काल – रात 12:06 बजे से 01:43 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:18 बजे से 03:07 बजे तक
हालांकि, साधक अपनी सुविधा अनुसार दिन में कभी भी स्नान-ध्यान करके भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
सबसे पहले अपने घर, दुकान या कार्यस्थल को अच्छे से साफ करें।
औजारों और मशीनों को धो-पोंछकर पवित्र बनाएं।
साफ स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा के लिए फूल, फल, मिठाई, रोली, चावल, दीपक और गंगाजल रखें।
स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा का संकल्प लें।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, फिर भगवान विश्वकर्मा का तिलक लगाएं, फूल और माला चढ़ाएं।
औजारों और मशीनों पर भी तिलक करें और फूल चढ़ाएं।
प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
पूजा के दौरान विश्वकर्मा मंत्र का जाप करें: “ॐ आधार शक्तपे नमः, ॐ कूमयि नमः, ॐ अनंतम नमः, ॐ पृथिव्यै नमः, ॐ श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्मयाय नमो नमः।”
अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें।
Disclaimer: इस लेख में बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखे गए हैं। इनका किसी प्रकार की गारंटी या प्रमाणित प्रभाव नहीं है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान, मान्यता या उपाय को अपनाने से पहले अपने विवेक और विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। द सामचार इस खबर में लिखी गई बातों की पुष्टि नहीं करता है।