Hartalika Teej : भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को आने वाली हरतालिका तीज का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. ये व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है. साथ ही अविवाहित कन्याएं भी उत्तम वर प्राप्त करने की इच्छा से इस कठिन उपवास को पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ करती हैं. पौराणिक मान्यता है कि इसी तपस्या और व्रत के प्रभाव से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था, इसलिए यह पर्व और भी पावन माना जाता है.
इस वर्ष 26 अगस्त, मंगलवार को हरतालिका तीज मनाई जाएगी.
पूजा का शुभ समय: सुबह 05:56 बजे से 08:31 बजे तक अवधि: कुल 2 घंटे 35 मिनट
इस समयावधि में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
1. सबसे पहले श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर स्थापित करें.
2. भगवान गणेश को तिलक करें और दूर्वा अर्पित करें.
3. भगवान शिव को बेलपत्र, शमी पत्री और फूल अर्पित करें.
4. माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.
5. तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें.
6. अंत में श्रीगणेश, शिव और माता पार्वती की आरती उतारकर भोग लगाएं.
प्रातः स्नान के बाद महिलाएं नए वस्त्र पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं. इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है. शिव-पार्वती की प्रतिमा को बेलपत्र, धतूरा, फल-फूल और सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन हरतालिका तीज की कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना गया है.
यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य लाता है, बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए अच्छे जीवनसाथी का मार्ग प्रशस्त करता है. श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया यह पर्व महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा और आस्था का संचार करता है.