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Guru Nanak Jayanti 2025 : कब है गुरु नानक जयंती 4 या 5, दूर करें कन्फ्यूजन

Guru Nanak Jayanti 2025 : गुरु नानक जयंती 2025, 5 नवंबर को मनाई जाएगी. यह गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती है. इस दिन अखंड पाठ, नगर कीर्तन और लंगर का आयोजन कर गुरु के उपदेशों को याद किया जाता है.

👤 Samachaar Desk 03 Nov 2025 08:20 PM

Guru Nanak Jayanti 2025 Date : गुरु नानक जयंती सिख धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है. यह दिन सिखों के पहले गुरु और धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व को ‘गुरुपरब’ या ‘प्रकाश पर्व’ भी कहा जाता है. हर साल यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे हिंदू पंचांग में भी अत्यंत शुभ तिथि माना गया है.

कब मनाई जाएगी गुरु नानक जयंती 2025

इस साल गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी. यह गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती होगी। गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को चलवंडी गांव में हुआ था, जिसे आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. यह स्थान अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है और सिख श्रद्धालुओं के लिए बेहद पवित्र तीर्थ स्थल है.

यहीं से गुरु नानक देव जी ने अपने धार्मिक, सामाजिक और मानवता पर आधारित संदेशों का प्रचार शुरू किया था. उन्होंने समाज में समानता, प्रेम, सेवा और ईमानदारी का संदेश दिया, जो आज भी सिख धर्म की नींव हैं.

कैसे मनाई जाती है गुरु नानक जयंती

गुरु नानक जयंती का उत्सव आमतौर पर तीन दिनों तक चलता है. पर्व से दो दिन पहले गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ आरंभ किया जाता है, जिसे “अखंड पाठ” कहा जाता है. यह 48 घंटे तक लगातार चलता है और इसके माध्यम से सिख धर्म के उपदेशों का पाठ किया जाता है.

उत्सव से एक दिन पहले शोभायात्रा (नगर कीर्तन) निकाली जाती है. इसमें “पंज प्यारे” (सिख धर्म के पांच प्रियजन) सबसे आगे चलते हैं. श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हैं और हाथों में निशान साहिब (सिख धर्म का ध्वज) लेकर चलते हैं. गलियों और रास्तों को फूलों और झंडों से सजाया जाता है.

गुरु नानक जयंती के दिन सभी गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन दरबार और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं. इस दौरान गुरु नानक जी की शिक्षाओं, उनके जीवन के प्रसंगों और मानवता के संदेशों को याद किया जाता है.

लंगर की परंपरा

गुरु नानक जयंती का सबसे अहम हिस्सा होता है लंगर- यानी सबको एक साथ बैठाकर भोजन कराना. इसका अर्थ है कि धर्म, जाति, लिंग या स्थिति की परवाह किए बिना सभी को समान रूप से भोजन परोसा जाए.

कहानी के अनुसार, बचपन में गुरु नानक के पिता ने उन्हें कुछ पैसे दिए ताकि वे “अच्छा व्यापार” करना सीखें. लेकिन नानक जी ने उन पैसों से भूखे संतों को भोजन कराया और कहा - “यही है सच्चा सौदा.” इसी संदेश के साथ आज भी गुरु नानक जयंती पर हर गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन किया जाता है.