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Chhath Puja 2025: नहाय-खाय से सूर्योदय अर्घ्य तक जानें पूरी विधि और शुभ मुहूर्त, नहीं करना भूलें ये खास रस्में!

Chhath Puja 2025: छठ पूजा 2025 की पूरी जानकारी: नहाय-खाय, खरना और सूर्य अर्घ्य के शुभ मुहूर्त के साथ जानें छठ पूजा की विधि, महत्व और मनाने का सही तरीका.

👤 Samachaar Desk 02 Oct 2025 01:04 PM

छठ पूजा भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में दिवाली के बाद धूमधाम से मनाई जाती है. यह पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि श्रद्धा, संयम और आभार का प्रतीक है. श्रद्धालु इस दिन सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य अर्पित करते हैं और परिवार की भलाई, स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करते हैं. नदी और तालाब के घाट इस पर्व का मुख्य केंद्र होते हैं, जहां भक्त पारंपरिक पोशाक में जुटकर भक्ति के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं.

दिन 1 – नहाय-खाय (25 अक्टूबर 2025)

छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है. इस दिन श्रद्धालु सूर्योदय से पहले उठकर नदियों या तालाबों में स्नान करते हैं और साधारण भोजन ग्रहण करते हैं. मुख्य भोजन में भाप में पका चावल, दाल और लौकी की सब्जी शामिल होती है. इसे शरीर और मन को शुद्ध करने का माध्यम माना जाता है. गंगा घाट पर सूर्य पूजा की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है, इसलिए छठ पूजा विश्व के सबसे प्राचीन सूर्य पूजा त्योहारों में से एक मानी जाती है.

दिन 2 – खरना (26 अक्टूबर 2025)

पंचमी के दिन श्रद्धालु पूरे दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद विशेष प्रसाद के साथ इसे तोड़ते हैं. मुख्य प्रसाद में खीर, घी लगी पूड़ी और चपाती शामिल होती है. इसके बाद भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें अगले अर्घ्य पूजा तक भोजन और पानी नहीं लिया जाता.

दिन 3 और 4 – सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना

छठ पूजा का सबसे आकर्षक दृश्य शष्ठी (27 अक्टूबर) और सप्तमी (28 अक्टूबर) को देखा जाता है. भक्त पारंपरिक पोशाक में नदी किनारे जमा होते हैं और हाथ में बांस की टोकरी में गन्ना, फल, नारियल और ठेकुआ रखते हैं.

1. षष्ठी सूर्यास्त अर्घ्य: 27 अक्टूबर, शाम 5:40 बजे

2. सप्तमी सूर्योदय अर्घ्य: 28 अक्टूबर, सुबह 6:30 बजे

छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

छठ पूजा केवल उपवास का पर्व नहीं है, बल्कि यह आभार व्यक्त करने का अवसर है – नदियों के लिए, जो खेतों को सींचती हैं, सूर्य के लिए, जो जीवन में ऊर्जा लाता है, और प्रकृति के चक्र के लिए, जो जीवन बनाए रखता है. इस पर्व में साधारणता और भक्ति की चमक सबसे साफ नजर आती है.

2025 में श्रद्धालु नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक अपनी आस्था और परंपरा के साथ भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का जश्न मनाएंगे.