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दिल्ली नहीं इस राज्य में औसत उम्र में बड़ी गिरावट, हरियाणा भी पीछे नहीं, RBI रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Delhi-NCR में वायु प्रदूषण गंभीर है, जिससे लोगों की औसत आयु पर असर पड़ा है. RBI रिपोर्ट के अनुसार पंजाब और दिल्ली में उम्र घट रही है, जबकि यूपी, केरल जैसे राज्यों में सुधार दिखा है.

👤 Samachaar Desk 16 Dec 2025 08:32 PM

दिल्ली-NCR में 16 दिसंबर को वायु प्रदूषण में पिछले कुछ दिनों के मुकाबले थोड़ी कमी जरूर देखी गई, लेकिन हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं. हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसने प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर चिंता और बढ़ा दी है.

प्रदूषण का असर लोगों की उम्र पर

RBI की रिपोर्ट के अनुसार, देश के कई बड़े राज्यों में वायु प्रदूषण, गंदा पानी और खराब जीवनशैली लोगों की औसत आयु को कम कर रही है. सांख्यिकी पुस्तिका 2024-25 में बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में कुछ राज्यों में लोगों की औसत उम्र में साफ गिरावट दर्ज की गई है.

दिल्ली में 2019 से 2023 के बीच औसत आयु में लगभग 1.7 साल की कमी आई है. वहीं, पंजाब में यह गिरावट सबसे ज्यादा रही, जहां औसत उम्र करीब 2 साल कम हुई. हरियाणा में भी औसत आयु 1.1 साल घट गई है. इस तरह औसत आयु में गिरावट के मामले में पंजाब पहले और दिल्ली दूसरे स्थान पर है.

कुछ राज्यों में हालात बेहतर

जहां एक ओर कुछ राज्यों में उम्र घट रही है, वहीं देश के कुल औसत आंकड़ों में सुधार भी देखने को मिला है. पूरे देश में औसत आयु 0.6 साल बढ़कर 70.3 वर्ष हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और जीवनशैली में सुधार इसकी बड़ी वजह हैं.

उत्तर प्रदेश में औसत आयु 65.6 साल से बढ़कर 68.0 साल हो गई है, यानी करीब 2.4 साल की बढ़ोतरी हुई है. उत्तराखंड में औसत उम्र 70.6 से बढ़कर 71.3 वर्ष पहुंची है. बिहार में भी मामूली सुधार के साथ औसत आयु 69.3 वर्ष दर्ज की गई है.

केरल सबसे आगे, छत्तीसगढ़ पीछे

राज्यों की तुलना करें तो केरल में लोगों की औसत आयु सबसे ज्यादा है, जो 75.1 वर्ष तक पहुंच गई है. इसके उलट छत्तीसगढ़ में औसत आयु सबसे कम रही, जहां यह आंकड़ा 64.6 वर्ष दर्ज किया गया है.

दिल्ली के लिए बढ़ती चिंता

हालांकि दिल्ली में अब भी औसत आयु उत्तर प्रदेश और पंजाब से ज्यादा है, लेकिन पिछले 5–6 वर्षों से लगातार हो रही गिरावट चिंता का विषय है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रदूषण और जीवनशैली से जुड़े कारणों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है.