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SCO Summit 2025: तियानजिन में मोदी-शी की ऐतिहासिक मुलाकात, दोस्ती और ड्रैगन-हाथी संग नए समीकरण!

SCO Summit 2025 में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तियानजिन मुलाकात ने भारत-चीन रिश्तों में नई दिशा दी. विश्वास, सम्मान और सहयोग पर दोनों नेताओं ने दिया जोर.

👤 Samachaar Desk 31 Aug 2025 12:17 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की. पीएम मोदी शनिवार को दो दिवसीय चीन यात्रा पर पहुंचे थे और सम्मेलन में शामिल होने से पहले शी जिनपिंग से आमने-सामने मुलाकात की.

विश्वास और सम्मान पर जोर

बैठक की शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी का स्वागत किया और कहा, “प्रधानमंत्री महोदय, आपसे फिर से मिलकर खुशी हो रही है. पिछली साल कज़ान में हमारी मुलाकात सफल रही थी. दुनिया इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. हम दोनों सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं. अच्छे पड़ोसी बनना और ड्रैगन और हाथी का साथ आना बेहद जरूरी है.”

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत-चीन रिश्ते तभी मजबूत हो सकते हैं जब विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता तीनों मूल्यों को ईमानदारी से निभाया जाए.

दोस्ती और पड़ोसी होने का संदेश

शी जिनपिंग ने एससीओ सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी का आभार जताया और कहा कि भारत और चीन दोनों प्राचीन सभ्यताओं के धनी देश हैं. उन्होंने कहा, “ड्रैगन और हाथी का साथ आवश्यक है. भारत और चीन की दोस्ती वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.”

मोदी ने भी अपने भाषण में कहा कि कज़ान में हुई पिछली मुलाकात से द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक दिशा मिली है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीमाओं पर शांति और स्थिरता बनी हुई है, कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो चुकी है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बहाल की जा रही हैं.

सहयोग से जुड़े 2.8 अरब लोग

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन का सहयोग सिर्फ दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए लाभकारी है. करीब 2.8 अरब लोगों के हित इन रिश्तों से जुड़े हैं.

अमेरिका पर अप्रत्यक्ष संकेत

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया था, लेकिन इसके बावजूद भारत अपनी नीति पर अडिग रहा. विश्लेषकों का मानना है कि इसी वजह से भारत और चीन एक-दूसरे के और करीब आ रहे हैं और वैश्विक स्तर पर नए समीकरण बन रहे हैं.