मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने राजनीति में रिटायरमेंट और अपने भविष्य को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि राजनीति में कोई तयशुदा रिटायरमेंट ऐज नहीं होती, बल्कि असली मायने योगदान देने की क्षमता रखते हैं.
एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उमा भारती ने कहा कि कोई भी संगठन या राजनीतिक दल उम्र सीमा तय कर सकता है, लेकिन यह तय नहीं कर सकता कि किसी इंसान की योगदान देने की क्षमता किस उम्र तक चलेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति एक ऐसा मंच है जहां योगदान ही असली ताकत है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह आने वाले चुनाव लड़ेंगी, तो उमा भारती ने साफ कहा, “हां, मैं तब चुनाव लडूंगी जब मुझे लगेगा कि मैं पूरी तरह तैयार हूं. मेरे पास जनता का आशीर्वाद और ताकत है.” उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 65 वर्ष की उम्र में चुनाव लड़ा था और वे अगले साल 65 साल की हो जाएंगी. इसलिए उम्र उनके लिए कोई बाधा नहीं है.
उमा भारती ने स्वीकार किया कि उनकी सबसे बड़ी कमजोरी उनकी ईमानदारी है. अगर वह किसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ती हैं, तो पूरी तरह वहां के लोगों को समर्पित हो जाएंगी. यदि जनता को किसी प्रकार की असुविधा हुई, तो उन्हें पछतावा होगा. यही कारण है कि वह चुनाव लड़ने का निर्णय बहुत सोच-समझकर लेंगी.
उमा भारती का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली रहा है. उन्होंने पहली बार 1989 में खजुराहो से लोकसभा का चुनाव जीता. इसके बाद 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीत दर्ज की. 1999 में उन्होंने भोपाल सीट पर अपना ध्यान केंद्रित किया. 2003 में उन्होंने भाजपा की ओर से मध्य प्रदेश में चुनाव अभियान का नेतृत्व किया और बड़ी जीत दर्ज की, जिससे दिग्विजय सिंह के 10 साल लंबे शासन का अंत हुआ. 2014 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की झांसी सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं.
उमा भारती के ताज़ा बयान से साफ है कि वे राजनीति में सक्रिय बनी रहेंगी. उनके लिए उम्र कोई सीमा नहीं है, बल्कि जनता की सेवा और योगदान ही सबसे बड़ा उद्देश्य है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में वह किस तरह से अपनी भूमिका तय करती हैं.