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21 नवंबर से बदल गई आपकी नौकरी की पूरी दुनिया! नए लेबर कोड में छुपे हैं 40 करोड़ कर्मचारियों के लिए बड़े फायदे!

New Labour Codes: मोदी सरकार ने 21 नवंबर से 29 पुराने कानून हटाकर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं. जानें कैसे बदले वेतन, ग्रेच्युटी, ओवरटाइम, महिलाओं के अधिकार, गिग वर्कर्स की सुरक्षा और नौकरी के नियम. इस खबर में पूरी जानकारी आसान भाषा में पढ़ें.

👤 Samachaar Desk 22 Nov 2025 12:46 PM

21 नवंबर से मोदी सरकार ने देश में श्रम कानूनों से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा सुधार लागू कर दिया है. कई दशकों पुराने 29 श्रम कानूनों को खत्म कर चार नए लेबर कोड पूरे देश में लागू कर दिए गए हैं. सरकार का दावा है कि यह बदलाव आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम है और इससे देश की रोजगार व्यवस्था, इंडस्ट्री स्ट्रक्चर और कर्मचारी अधिकारों को नई परिभाषा मिलेगी. खास बात यह है कि इन नए लेबर कोड से 40 करोड़ से ज्यादा कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का दायरा मिलेगा.

1. पुराने कानून खत्म, आधुनिक जरूरतों के हिसाब से नए नियम

भारत में कई श्रम कानून 1930–1950 के बीच बने थे, जब देश में न गिग इकॉनमी थी, न प्लेटफॉर्म वर्कर्स का कॉन्सेप्ट. नए लेबर कोड इन आधुनिक कार्यशैलियों—जैसे ऐप-बेस्ड वर्क, डिलीवरी सर्विस, कैब ड्राइविंग, फ्रीलांस—को कानूनी मान्यता देते हैं और उन्हें सुरक्षा भी प्रदान करते हैं.

2. हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र, समय पर वेतन अनिवार्य

अब किसी भी कर्मचारी को बिना जॉइनिंग लेटर के नौकरी नहीं दी जा सकती. समय पर वेतन देना भी कानूनी बाध्यता बन गई है. इससे नियोक्ता और कर्मचारी के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी और वेतन रोकने जैसी समस्याओं में कमी आएगी.

3. 40 साल से ऊपर वालों को फ्री हेल्थ चेकअप

खनन, निर्माण, केमिकल और खतरनाक उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों सहित सभी क्षेत्रों के 40+ आयु वर्ग वाले कर्मचारियों को साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण मिलेगा. इससे कर्मचारियों की सेहत और वर्क सेफ्टी पर सीधा असर पड़ेगा.

4. सिर्फ 1 साल नौकरी पर ग्रेच्युटी का फायदा

पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम 5 साल की नौकरी जरूरी थी, लेकिन अब सिर्फ 1 साल की स्थाई नौकरी के बाद कर्मचारी ग्रेच्युटी का दावा कर सकेगा. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए यह बड़ा लाभ है.

5. कामकाजी महिलाओं के अधिकार हुए मजबूत

नए कोड में महिलाओं को:

  • सुरक्षा और सहमति के साथ नाइट शिफ्ट में काम
  • समान वेतन
  • सुरक्षित कार्यस्थल की गारंटी मिली है.
  • ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार दिए गए हैं.

6. ओला–उबर, स्विगी–जोमैटो वर्कर्स को पहली बार कानूनी सुरक्षा

गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे. कंपनियों (एग्रीगेटर्स) को अपने टर्नओवर का 1–2% सामाजिक सुरक्षा फंड में जमा करना होगा. UAN (PF नंबर) लिंक होने से राज्य बदलने पर भी फायदे मिलते रहेंगे.

7. ओवरटाइम का दुगना वेतन

नए नियम में ओवरटाइम का भुगतान डबल रेट पर होगा. इससे कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त आय और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी.

8. कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को भी स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा

अब कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को:

  • न्यूनतम वेतन
  • सामाजिक सुरक्षा
  • काम की गारंटी मिलेगी.
  • प्रवासी मजदूर और असंगठित सेक्टर के कामगार भी इस सुरक्षा दायरे में आएंगे.

9. उद्योगों के लिए अनुपालन आसान

  • नए कोड में सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न सिस्टम लागू होगा.
  • इससे कंपनियों का पेपरवर्क और कानूनी झंझट कम होगा, जिससे इंडस्ट्री की गति बढ़ेगी.

10. श्रमिक–उद्योग विवादों का नया समाधान मॉडल

  • अब “इंस्पेक्टर-कम-फैसिलिटेटर” सिस्टम होगा.
  • इसमें अधिकारी पहले मार्गदर्शन देंगे, दंड बाद में.
  • साथ ही, दो-सदस्यीय ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे ताकि कर्मचारी सीधे शिकायत दर्ज कर सकें.

सरकार कहती है कि नए लेबर कोड “विकसित भारत 2047” के सपने को पूरा करने में बड़ी मदद करेंगे. ये बदलाव चार बड़े कानूनों के जरिए किए गए हैं — वेज कोड 2019 (वेतन से जुड़े नियम), इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020 (कर्मचारी–कंपनी संबंध), सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (पीएफ–पेंशन जैसी सुविधाएँ) और OSH कोड 2020 (काम की सुरक्षा और हेल्थ).