बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2015 में मुंबई के कुरला इलाके में स्थित होटल सिटी किनारा में लगी आग से मारे गए 8 युवाओं के परिजनों को इंसाफ देते हुए ब्रिहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को हर पीड़ित परिवार को ₹50 लाख (कुल ₹4 करोड़) मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने साफ कहा कि यह अग्निकांड नगरपालिका की “घोर लापरवाही” का नतीजा था.
16 अक्टूबर 2015 को होटल सिटी किनारा में अचानक आग लग गई थी, जिसमें 18 से 20 साल की उम्र के 8 युवक और युवतियों की दर्दनाक मौत हो गई थी. ये सभी होटल के अवैध मेजेनाइन फ्लोर पर खाना खा रहे थे। इस फ्लोर पर फायर सेफ्टी का कोई इंतज़ाम नहीं था और वहां कमर्शियल LPG सिलेंडर भी रखे गए थे.
जांच में सामने आया कि 2012 से 2015 के बीच BMC के स्वास्थ्य अधिकारी होटल की कई बार जांच कर चुके थे और बार-बार नियम उल्लंघन की रिपोर्ट दी थी। इसमें अवैध रसोई, फायर NOC की कमी, गलत जगह सिलेंडर का भंडारण जैसी गंभीर बातें थीं. पुलिस और असिस्टेंट कमिश्नर को भी संभावित खतरे की जानकारी दी गई थी, फिर भी BMC ने लाइसेंस रद्द नहीं किया.
न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और फिरदौश पी पूनिवाला की डिवीजन बेंच ने कहा कि “अगर BMC ने अपने वैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए होटल का लाइसेंस रद्द कर दिया होता और सिलेंडर जब्त किए होते, तो यह हादसा कभी नहीं होता.” BMC ने सफाई दी कि पूरी गलती होटल मालिक की थी और मुआवजा सिर्फ दीवानी मुकदमे में तय हो सकता है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह महज़ लापरवाही नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की सीधी अवहेलना हुई है.
कोर्ट ने हर मृतक के लिए ₹50 लाख की राशि तय करते हुए कहा कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान की भरपाई नहीं बल्कि न्याय और सम्मान का प्रतीक है। BMC को 12 हफ्ते में भुगतान करने का आदेश दिया गया है, वरना उस पर 9% ब्याज भी लगेगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि BMC चाहे तो आगे चलकर अन्य जिम्मेदार पक्षों से यह राशि वसूल सकती है.