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Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में बड़ी सनसनी! ओवैसी बोले, ‘NDA जीती तो नीतीश नहीं, भाजपा का…’

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव 2025 में दावा किया कि अगर एनडीए गठबंधन जीतता है, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं बल्कि भाजपा का नेता बनेगा. जानें ओवैसी की पूरी रणनीति.

👤 Samachaar Desk 25 Sep 2025 02:21 PM

बिहार चुनाव में एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल से अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत कर दी है. इस दौरान उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों पर तीखा हमला किया. ओवैसी ने दावा किया कि अगर इस बार एनडीए गठबंधन सत्ता में आता है, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं बल्कि भाजपा का कोई नेता होगा.

ओवैसी ने न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, "बिहार में अगर एनडीए की सरकार बनी तो इस बार नीतीश कुमार नहीं, बल्कि भाजपा का सीएम होगा." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा की ‘बी टीम’ बनने का आरोप पूरी तरह गलत है. उनका कहना था कि उनका मकसद केवल सीमांचल के लोगों के लिए लड़ना है और किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं है.

‘सीमांचल न्याय यात्रा’ और मुस्लिम वोट बैंक

सीमांचल क्षेत्र के लिए ओवैसी ने तीन दिवसीय 'सीमांचल न्याय यात्रा' की शुरुआत की. इस इलाके में लगभग दो-तिहाई आबादी मुस्लिम है. ओवैसी ने कहा कि पिछली बार 2020 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सीमांचल की पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था. हालांकि बाद में चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे, फिर भी यह एआईएमआईएम के लिए एक बड़ी उपलब्धि रही.

विपक्षी गठबंधन और सीटों पर बातचीत

ओवैसी ने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ बातचीत चल रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर उनकी पार्टी को छह सीटें दी जाती हैं तो एआईएमआईएम गठबंधन में शामिल होगी. उन्होंने कहा, "अब गेंद ‘इंडिया’ गठबंधन के पाले में है. हमने पहल इसलिए की ताकि कोई यह न कह सके कि हम भाजपा की मदद कर रहे हैं." लालू और तेजस्वी यादव पर टिप्पणी

इस मौके पर ओवैसी ने लालू और तेजस्वी यादव को लेकर भी तीखी टिप्पणियाँ की. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को डर क्यों है, उन्हें समझ नहीं आता. उनके अनुसार, इस चुनाव में सीमांचल के सभी दलों को हराना उनकी प्राथमिकता है.

ओवैसी की यह राजनीतिक रणनीति इस बार बिहार चुनाव में कई सीटों पर सीधे मुकाबले को और रोचक बनाएगी. उनका दावा, सीमांचल की मुस्लिम आबादी को केंद्र में रखते हुए एआईएमआईएम की बढ़ती ताकत, राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है.