बिहार बीजेपी विधायक दल की अहम बैठक बुधवार, 19 नवंबर को सुबह 10 बजे पटना में आयोजित होगी. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विधायक दल के नए नेता का चुनाव करना है, जो राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगा. इस बैठक को लेकर राज्य की राजनीति में काफी उत्सुकता बनी हुई है क्योंकि 20 नवंबर को नई सरकार की शपथ ग्रहण की प्रक्रिया है.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार बीजेपी विधायक दल की बैठक के लिए केशव प्रसाद मौर्य को मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. केशव प्रसाद मौर्य वर्तमान में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने बिहार चुनाव में बीजेपी के सह-प्रभारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनके साथ साध्वी निरंजन ज्योति और अर्जुनराम मेघवाल सह-पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किए गए हैं.
बैठक का सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा विधायक दल का नेता चुनना है. नए नेता का चयन एनडीए के गठबंधन की मजबूती और बिहार में सरकार गठन की दिशा तय करेगा. नेता चुने जाने के बाद वह राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. यह प्रक्रिया 20 नवंबर से पहले पूरी होने की उम्मीद है.
बैठक में सिर्फ बीजेपी के विधायक नहीं बल्कि एनडीए गठबंधन के अन्य दल भी शामिल होंगे. सभी दल अपनी बैठकों के बाद एनडीए विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि गठबंधन के भीतर संतुलन बना रहे और सभी प्रमुख दलों की सहमति से नेता चुना जाए.
सूत्रों के अनुसार, बिहार में बीजेपी के दो उपमुख्यमंत्री होंगे. हालांकि, इनके नाम अभी तक अंतिम रूप नहीं पाए हैं. माना जा रहा है कि सरकार गठन से पहले बीजेपी और जेडीयू के बीच इन पदों पर सहमति बन चुकी है, लेकिन आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है.
सह-पर्यवेक्षक साध्वी निरंजन ज्योति और अर्जुनराम मेघवाल बैठक में प्रक्रिया को सुचारु बनाने और विधायक दल के निर्णयों में संतुलन बनाए रखने का कार्य करेंगे. उनकी भूमिका इस बैठक के निष्पक्ष और पारदर्शी संचालन के लिए अहम मानी जा रही है.
बैठक में विधायक दल के नेता के चुनाव के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण पदों और जिम्मेदारियों का निर्धारण भी किया जाएगा. यह सुनिश्चित करेगा कि नई सरकार सुचारु रूप से काम करे और गठबंधन के भीतर संतुलन बना रहे.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक बिहार की नई सरकार के गठन में निर्णायक साबित होगी. इस बैठक में लिए गए निर्णय राज्य की राजनीति पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकते हैं.
बैठक के परिणाम से यह तय होगा कि किस नेता के नेतृत्व में नई सरकार सत्ता संभालेगी और बिहार में राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी. इसके साथ ही बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन की मजबूती का भी संकेत मिलेगा.