बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार बदलाव की संभावना है. वर्ष 2000 में बिहार का पुनर्गठन हुआ और झारखंड अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. उसके बाद से बिहार में चुनाव कम से कम तीन चरणों में होते रहे हैं. 2010 में तो छह राउंड में मतदान हुआ था. लेकिन इस बार पहली बार चुनाव दो चरणों में संपन्न होने की संभावना जताई जा रही है.
इलेक्शन कमिशन आज बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा. सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा और प्रशासनिक स्थिति में सुधार के कारण चुनाव को केवल एक या दो चरणों में कराना संभव हो पाया है. पिछली बार के मुकाबले अब कानून-व्यवस्था बेहतर है. भोजपुर बेल्ट जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र अब शांत हैं और वहां कम सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ मतदान कराया जा सकता है.
सड़क और परिवहन नेटवर्क के सुधार ने चुनाव प्रक्रिया को और आसान बना दिया है. सुरक्षा बल अब एक जगह से दूसरी जगह तेजी से पहुंच सकते हैं, जिससे चुनाव कम चरणों में आयोजित करना संभव हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार के उत्तर और दक्षिण इलाकों में अलग-अलग चरणों में मतदान कराया जा सकता है और लगभग 120 सीटों पर एक ही चरण में मतदान हो सकता है.
1. 2010: छह चरण (21, 24, 28 अक्टूबर और 1, 9, 20 नवंबर)
2. 2015: पांच चरण (12, 16, 18 अक्टूबर और 1, 5 नवंबर)
3. 2020: तीन चरण (28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर)
इस बार यदि चुनाव केवल दो चरणों में संपन्न होते हैं तो यह बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक नई मिसाल होगी. इससे न सिर्फ प्रशासनिक खर्च और समय की बचत होगी, बल्कि मतदाताओं के लिए मतदान करना भी आसान होगा.
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि चुनाव को दो चरणों में कराने का निर्णय राज्य में बढ़ती सुरक्षा और बेहतर प्रशासनिक क्षमता का प्रतीक है. यह बदलाव न केवल चुनाव प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाएगा, बल्कि भविष्य में चुनावों के संचालन के लिए एक नया मॉडल भी प्रस्तुत करेगा.
इस बार के विधानसभा चुनावों में कम चरणों में मतदान कराने का प्रस्ताव राज्य की राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक दक्षता को दर्शाता है. यदि ऐसा होता है, तो यह बिहार के चुनावी इतिहास में एक यादगार बदलाव के रूप में दर्ज होगा.
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 प्रशासनिक सुधार और बेहतर कानून-व्यवस्था के बीच नई दिशा में कदम बढ़ाने जा रहा है, जो राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और सरल एवं सुलभ बनाएगा.