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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बिहार मतदाता सूची में आधार को मिला 12वें वैध दस्तावेज का दर्जा

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन के दौरान आधार कार्ड को 12वें वैध दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए।

👤 Saurabh 08 Sep 2025 05:09 PM

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान मतदाता सूची में नाम जोड़ने या सही करने के लिए आधार कार्ड को भी एक वैध दस्तावेज़ माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अब चुनाव आयोग को इसे अपनी सूची में 12वें दस्तावेज़ के रूप में शामिल करना होगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आधार कार्ड नागरिकता साबित करने वाला दस्तावेज़ नहीं है, लेकिन पहचान और निवास का प्रमाण जरूर है। यानी लोग अपना आधार कार्ड दिखाकर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा सकते हैं, लेकिन अधिकारियों को यह जांचने का हक होगा कि आधार असली है या नकली।

यह मामला इसलिए उठा क्योंकि कई लोग शिकायत कर रहे थे कि बूथ लेवल अधिकारी (BLO) आधार कार्ड को मान्य नहीं मान रहे थे। विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया कि आयोग ज़मीनी स्तर पर पुराने आदेशों को लागू नहीं कर रहा। अदालत ने इस पर नाराज़गी जताई और चुनाव आयोग को आदेश दिया कि वह तुरंत अपने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करे।

राजद की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील दी कि अगर आधार जैसा आम दस्तावेज़ भी खारिज किया जाएगा तो गरीब और वंचित मतदाता लिस्ट से बाहर रह जाएंगे। दूसरी ओर चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि आधार को पहले से ही स्वीकार किया जा रहा है, लेकिन यह नागरिकता का सबूत नहीं हो सकता।

पीठ ने साफ कहा कि पहले से मौजूद 11 दस्तावेजों में भी ज्यादातर नागरिकता का सबूत नहीं हैं, फिर आधार को क्यों रोका जा रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि समावेशिता (Inclusivity) ज़रूरी है ताकि असली मतदाता छूट न जाएं।

बिहार में इस समय मतदाता सूची का विशेष संशोधन चल रहा है। पिछले महीने जारी मसौदा सूची से लगभग 65 लाख नाम हटाए गए थे। इस पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि तकनीकी दिक्कतों और अफसरों की मनमानी की वजह से असली मतदाता बाहर हो रहे हैं।

यह मामला राजनीतिक रूप से भी गरम है क्योंकि इसी साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा कह रही है कि संशोधन की वजह से घुसपैठियों के नाम हट रहे हैं, जबकि कांग्रेस और राजद का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को वंचित करने की साजिश है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब आधार कार्ड बिहार में मतदाता सूची में नाम जोड़ने का 12वां वैध दस्तावेज़ बन गया है।