90 के दशक की चर्चित बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी एक बार फिर सुर्खियों में हैं- इस बार वजह उनकी आध्यात्मिक यात्रा है. प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई, लेकिन ये सम्मान उन्हें जितनी श्रद्धा से मिला, उतनी ही तेजी से विवादों में भी घिर गया. अब ममता ने पहली बार इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है.
मीडिया से बात करते हुए ममता ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, 'मेरे लिए ईश्वर की कृपा थी उस कुंभ में महामंडलेश्वर बनना, जो 140 सालों में सबसे पवित्र अवसर था. भगवान ने मुझे मेरी 25 साल की तपस्या का फल दिया.' उन्होंने बताया कि ये पद उनके लिए आध्यात्मिक उपलब्धि का प्रतीक है, न कि किसी सार्वजनिक शोहरत का माध्यम.
हालांकि, ममता की ये नियुक्ति किन्नर अखाड़े के अंदर ही विवाद का विषय बन गई. अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने दावा किया कि ये नियुक्ति उनकी सहमति के बिना की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने नियमों को दरकिनार करते हुए ममता को ये पद दे दिया. इसके बाद उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी कर त्रिपाठी और ममता- दोनों को अखाड़े से हटा कर दिया.
30 जनवरी को जारी बयान में ऋषि अजय दास ने कहा, “ऐसे इंसान को महामंडलेश्वर की उपाधि देना, आप किस तरह के गुरू दे रहे हो सनातन धर्म को?” उन्होंने ममता के अतीत को लेकर भी सवाल उठाए. अजय दास का कहना है कि आध्यात्मिक पदों पर नियुक्ति केवल धार्मिक योग्यता और सेवा भावना के आधार पर होनी चाहिए, न कि लोकप्रियता या पूर्व की छवि के आधार पर.
ममता कुलकर्णी 90 के दशक की फेमस एक्ट्रेस थीं और उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया था. लेकिन वर्ष 2000 के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और अध्यात्म की राह पकड़ ली. कई रिपोर्ट्स में उनका नाम ड्रग्स केस से भी जोड़ा गया, हालांकि वो खुद को निर्दोष बताती रही हैं. अब आध्यात्मिकता में उनका योगदान और ये नया विवाद फिर से उन्हें सुर्खियों में ले आया है.